हिमालय और ग्लेशियर की ठंडी-ठंडी हंसी एक बार की बात है, हिमालय पर्वत अपनी बर्फीली चोटियों पर बैठा गर्व से आसमान छू रहा था।

हिमालय और ग्लेशियर की ठंडी-ठंडी हंसी 

एक बार की बात है, हिमालय पर्वत अपनी बर्फीली चोटियों पर बैठा गर्व से आसमान छू रहा था। उसकी बगल में ग्लेशियर, जो हमेशा थोड़ा पिघलने के मूड में रहता था, धीरे-धीरे सरक रहा था। हिमालय ने ग्लेशियर की ओर देखा और बोला, "अरे ग्लेशी भाई, तुझे नहीं लगता कि तू थोड़ा ज्यादा ही बह रहा है? मेरी चोटियों का स्टाइल तो देख, एकदम ठोस, मजबूत, और बर्फ से ढका!" ग्लेशियर ने हल्की सी हंसी के साथ जवाब दिया, "हिमालय भाई, तू तो बस दिखावे का ढेर है! मैं तो बहता हूँ, नदियों को जन्म देता हूँ, गाँव-शहर बसाता हूँ। तू तो बस बैठा रहता है, ठंडा-ठंडा, कूल-कूल!" हिमालय को ग्लेशियर की यह बात चुभ गई। उसने सोचा, "ये ग्लेशियर तो मेरे सामने स्टाइल मार रहा है। इसे तो मजा चखाना पड़ेगा।" हिमालय ने एक शरारती मुस्कान बिखेरी और बोला, "ठीक है, ग्लेशी, चल एक चैलेंज करते हैं। देखते हैं, कौन ज्यादा ठंडा है! जो सबसे ज्यादा ठंड पैदा करेगा, वही इस पहाड़ी इलाके का असली बादशाह होगा।" ग्लेशियर ने तुरंत हामी भर दी, "चल, ठीक है! लेकिन शर्त ये कि कोई गलत चाल नहीं चलेगा।" चैलेंज शुरू हुआ। हिमालय ने अपनी बर्फीली हवाओं को बुलाया और बोला, "लाओ, ऐसी ठंडक फैलाओ कि ग्लेशियर भी कांप जाए!" हवाओं ने जोर-जोर से चलना शुरू किया। पास के जंगल में भालू, जो अपनी गुफा में मजे से सो रहा था, ठंड से कांपने लगा। "अरे, ये हिमालय क्या पागलपन कर रहा है? मेरी सर्दी की नींद खराब कर दी!" भालू ने गुस्से में चिल्लाया। इधर, ग्लेशियर भी कहाँ पीछे रहने वाला था? उसने अपनी बर्फ को और ठंडा किया और धीरे-धीरे पिघलकर एक ठंडी नदी बनाई, जो इतनी ठंडी थी कि पास से गुजरने वाली मछलियाँ तक जम गईं। मछलियाँ चिल्लाईं, "अरे ग्लेशियर, थोड़ा रहम कर! हम तो बस तैर रही थीं, अब आइसक्यूब बन गईं!" हिमालय और ग्लेशियर, दोनों अपनी-अपनी ठंडक दिखाने में लगे थे। तभी एक यात्री, जो पास के रास्ते से गुजर रहा था, ठंड से ठिठुरते हुए बोला, "अरे भाई, तुम दोनों की ठंडी लड़ाई में हम बेचारे इंसान क्यों कांप रहे हैं? थोड़ा रुक जाओ!" हिमालय और ग्लेशियर ने यात्री की बात सुनी और ठहाका मारकर हंस पड़े। हिमालय बोला, "ग्लेशी, लगता है हम दोनों ही ठंड के बादशाह हैं। क्यों न अब ठंडी हंसी बांटें?" ग्लेशियर ने सहमति में सिर हिलाया और बोला, "ठीक है, भाई! अब हमारी ठंडक दुनिया को हंसाने के काम आएगी।" उस दिन से हिमालय और ग्लेशियर ने अपनी ठंडी चुटकियों से सबको हंसाना शुरू कर दिया। और यात्री? वो गर्म चाय की तलाश में नीचे गाँव की ओर भागा, लेकिन मुस्कुराते हुए, क्योंकि उसने हिमालय और ग्लेशियर की ठंडी-ठंडी हंसी का मजा ले लिया था!( By: Akhilesh kumar)


 

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