उनकी दुकान पर लोग दूर-दूर से आते, अपनी कुंडली दिखाते और भविष्य जानने की जिद करते। पंडितजी भी बड़े आत्मविश्वास से ग्रह-नक्षत्रों की बातें बताते, मानो वे खुद चंद्रमा से गपशप करके आए हों। एक दिन गांव का सबसे बड़ा मूर्ख, बुद्धू भैया, पंडितजी की दुकान पर पहुंचा। बुद्धू भैया की मूर्खता ऐसी थी कि अगर कोई कहता "आज बारिश होगी," तो वे छाता लेकर खेत में नाचने चले जाते। बुद्धू भैया ने पंडितजी के सामने अपनी हथेली फैलाई और बोले, "पंडितजी, मेरी किस्मत में क्या लिखा है? जल्दी बताओ, मुझे बाजार भी जाना है!" पंडितजी ने उनकी हथेली देखी, कुछ गणनाएं कीं, और गंभीर स्वर में बोले, "बुद्धू भैया, तुम्हारी रेखाएं कहती हैं कि अगले हफ्ते तुम्हें बड़ा धन लाभ होगा!" बुद्धू भैया की आंखें चमक उठीं। वे बोले, "वाह! कितना धन? गाय खरीद लूं या ट्रैक्टर?" पंडितजी ने अपनी मूंछों पर ताव दिया और बोले, "धन इतना कि तुम गाय, ट्रैक्टर, और गांव की मिठाई दुकान तक खरीद सकते हो!" बुद्धू भैया खुशी से उछल पड़े और तुरंत बाजार की ओर भागे। रास्ते में उन्हें गांव का शातिर लाला मिला। लाला ने पूछा, "बुद्धू, इतनी जल्दी कहां?" बुद्धू ने सारी बात बताई। लाला ने मौके का फायदा उठाया और बोला, "अरे, धन लाभ की गारंटी चाहिए तो मेरे पास एक जादुई तावीज है। बस पांच सौ रुपये दो!" बुद्धू ने जेब से पैसे निकाले और तावीज खरीद लिया, यह सोचकर कि अब तो धन की बरसात होगी। अगले दिन बुद्धू फिर पंडितजी के पास पहुंचा और बोला, "पंडितजी, आपने कहा था धन लाभ होगा, पर मैंने तो पांच सौ रुपये गंवा दिए!" पंडितजी ने हंसते हुए कहा, "अरे बुद्धू, मैंने कहा था धन लाभ होगा, ये नहीं कहा कि तुम्हारा दिमाग भी लाभ करेगा!" बुद्धू चकराया, फिर बोला, "तो अब क्या करूं?" पंडितजी ने गंभीर होकर कहा, "एक उपाय है। आज रात चौराहे पर जाकर चार मुट्ठी चावल फेंक आना। ग्रह शांत होंगे।" बुद्धू रात को चौराहे पर पहुंचा, चावल फेंके, और जोर-जोर से चिल्लाया, "ग्रहों, अब तो शांत हो जाओ!" तभी वहां से गुजर रहे गांव के चौकीदार ने उसे पकड़ लिया और बोला, "बुद्धू, ये चौराहे पर कचरा क्यों फैला रहा है?" बुद्धू ने सारी कहानी सुनाई। चौकीदार हंसते-हंसते लोटपोट हो गया और बोला, "बुद्धू, तू ज्योतिषी की बातों में आ गया? चल, मेरे घर चल, मैं तुझे असली तावीज दूंगा!" बुद्धू खुशी-खुशी चौकीदार के पीछे चला गया, यह सोचकर कि अब तो उसकी किस्मत चमक ही जाएगी। गांव वाले आज भी हंसते हैं कि बुद्धू भैया की किस्मत तो नहीं चमकी, पर पंडितजी और लाला की जेबें जरूर चमक गईं! और बुद्धू? वो आज भी चौराहे पर चावल फेंकने की ताक में है, यह सोचकर कि शायद कोई ग्रह उसकी सुन ले!( By: Akhilesh kumar)
ज्योतिषी और मूर्ख: हंसी का तड़काएक छोटे से गांव में पंडित रामलाल ज्योतिषी अपनी भविष्यवाणियों के लिए मशहूर थे। उनकी दुकान पर लोग दूर-दूर से आते, अपनी कुंडली दिखाते और भविष्य जानने की जिद करते।
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6/04/2025 06:10:00 am
ज्योतिषी और मूर्ख: हंसी का तड़काएक छोटे से गांव में पंडित रामलाल ज्योतिषी अपनी भविष्यवाणियों के लिए मशहूर थे।