International Dance Day is celebrated on September 29. यह दिन नृत्य की कला को समर्पित है, जो मानव इतिहास का एक अभिन्न अंग रहा है। नृत्य केवल शारीरिक गतिविधि नहीं, बल्कि भावनाओं, संस्कृति और परंपराओं की अभिव्यक्ति का एक शक्तिशाली माध्यम है। इस दिन का उद्देश्य नृत्य के महत्व को उजागर करना और इसे सभी उम्र, समुदायों और पृष्ठभूमियों के लोगों तक पहुँचाना है।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 1982 में यूनेस्को के तत्वावधान में इंटरनेशनल डांस कमेटी द्वारा की गई थी। यह तारीख प्रसिद्ध फ्रांसीसी नर्तक और कोरियोग्राफर जीन-जॉर्ज नोवेर की जन्म तिथि को चिह्नित करती है, जिन्हें आधुनिक बैले का जनक माना जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद नृत्य को एक सार्वभौमिक कला के रूप में बढ़ावा देना है, जो भाषा, धर्म और सीमाओं से परे लोगों को जोड़ता है।
नृत्य का महत्व विभिन्न संस्कृतियों में अलग-अलग रूपों में देखा जा सकता है। भारत में, नृत्य एक पवित्र कला है, जो प्राचीन काल से मंदिरों और धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ा रहा है। भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, कथकली जैसे शास्त्रीय नृत्य रूप न केवल तकनीकी कौशल दर्शाते हैं, बल्कि कहानियों, मिथकों और दर्शन को भी जीवंत करते हैं। इसके अलावा, लोक नृत्य जैसे गरबा, भांगड़ा, गिद्दा और लावणी भारत की विविधता और सामुदायिक उत्सवों की भावना को दर्शाते हैं।
आधुनिक युग में नृत्य ने नए आयाम अपनाए हैं। हिप-हॉप, साल्सा, समकालीन और बॉलीवुड नृत्य ने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। यह नृत्य के वैश्वीकरण का परिणाम है, जहाँ विभिन्न शैलियाँ एक-दूसरे से प्रेरणा लेती हैं। नृत्य अब केवल मंच प्रदर्शन तक सीमित नहीं है; यह सोशल मीडिया, फिल्मों और टेलीविजन के माध्यम से लाखों लोगों तक पहुँच रहा है।
अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस पर विश्व भर में कार्यशालाएँ, प्रदर्शन, सेमिनार और नृत्य उत्सव आयोजित किए जाते हैं। यह दिन नृत्य के माध्यम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर भी जोर देता है। नृत्य तनाव कम करने, आत्मविश्वास बढ़ाने और सामाजिक बंधन को मजबूत करने में मदद करता है। यह बच्चों से लेकर वृद्धजनों तक, सभी के लिए एक समावेशी गतिविधि है।
भारत में इस दिन को विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। नृत्य विद्यालय और सांस्कृतिक संगठन इस अवसर पर विशेष आयोजन करते हैं, जिसमें स्थानीय और शास्त्रीय नृत्य दोनों शामिल होते हैं। यह नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का एक अवसर भी है।
अंत में, अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस हमें याद दिलाता है कि नृत्य केवल एक कला नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है। यह हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने, दूसरों के साथ जुड़ने और अपनी संस्कृति को संरक्षित करने का अवसर देता है। आइए, इस दिन को नृत्य के रंगों में रंगकर, अपनी आत्मा को मुक्त करें और इस सार्वभौमिक भाषा का आनंद लें।( Akhilesh Kumar)