अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ पर्व है। यह पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। 'अक्षय' शब्द का अर्थ है 'जो कभी नष्ट न हो' और तृतीया तिथि के साथ मिलकर यह पर्व समृद्धि, सौभाग्य और शुभ कार्यों का प्रतीक बनता है। इस दिन किए गए कार्यों और निवेशों का फल अक्षय, यानी स्थायी, माना जाता है।
धार्मिक महत्व
अक्षय तृतीया का धार्मिक महत्व अनेक पौराणिक कथाओं से जुड़ा है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, परशुराम जी का जन्म हुआ था। साथ ही, त्रेतायुग का प्रारंभ भी इसी तिथि को हुआ। इस दिन गंगा नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जिससे धन-धान्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शुभ कार्यों का दिन
अक्षय तृतीया को 'अखा तीज' इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह दिन नए कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन बिना किसी मुहूर्त के विवाह, गृह प्रवेश, व्यवसाय शुरू करना, और सोना-चांदी खरीदना जैसे कार्य किए जाते हैं। विशेष रूप से, सोने की खरीदारी इस दिन बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि ऐसा विश्वास है कि इस दिन खरीदा गया सोना अक्षय धन का प्रतीक होता है। लोग इस दिन दान-पुण्य, तीर्थ स्नान और गरीबों को भोजन दान करने जैसे कार्य भी करते हैं, जो उनके जीवन में सुख-शांति लाते हैं।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
अक्षय तृतीया केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस दिन किसान अपनी फसलों की पूजा करते हैं और अच्छी पैदावार के लिए प्रार्थना करते हैं। यह पर्व समाज में एकजुटता और सकारात्मकता का संदेश देता है।
आधुनिक संदर्भ में अक्षय तृतीया
आज के समय में अक्षय तृतीया का महत्व और भी बढ़ गया है। लोग इस दिन न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, बल्कि वित्तीय निवेश जैसे म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार, और संपत्ति खरीद में भी रुचि दिखाते हैं। यह दिन नई शुरुआत और दीर्घकालिक समृद्धि के लिए प्रेरित करता है।
निष्कर्ष
अक्षय तृतीया एक ऐसा पर्व है जो आध्यात्मिकता, समृद्धि और सांस्कृतिक एकता का अनूठा संगम है। यह हमें सिखाता है कि सच्चे मन से किए गए कार्य और दान-पुण्य का फल कभी नष्ट नहीं होता। इस अक्षय तृतीया, आइए हम सभी अपने जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संकल्प लें और इस शुभ दिन का लाभ उठाएं।( By:Akhilesh Kumar)