भारत में डिजिटल शिक्षा ने हाल के वर्षों में अभूतपूर्व वृद्धि देखी है। कोविड-19 महामारी ने इस बदलाव को और तेज कर दिया, जब स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थान बंद होने के कारण ऑनलाइन शिक्षा ही एकमात्र विकल्प बन गई। आज, डिजिटल शिक्षा न केवल शहरी क्षेत्रों में, बल्कि ग्रामीण भारत में भी अपनी पैठ बना रही है। यह नई तकनीक न केवल शिक्षा को सुलभ बना रही है, बल्कि इसे और समावेशी भी बना रही है। लेकिन, इसके साथ कई चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें हल करना आवश्यक है।
डिजिटल शिक्षा के सबसे बड़े अवसरों में से एक है इसकी पहुंच। बायजूस, उडेमी, और स्वयं जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने लाखों छात्रों को घर बैठे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की है। ये प्लेटफॉर्म न केवल स्कूली शिक्षा, बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, स्किल डेवलपमेंट, और प्रोफेशनल कोर्सेज के लिए भी संसाधन उपलब्ध कराते हैं। भारत सरकार ने भी 'डिजिटल इंडिया' पहल के तहत ई-लर्निंग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे दीक्षा और पीएम ई-विद्या। ग्रामीण क्षेत्रों में कम लागत वाले स्मार्टफोन्स और सस्ते इंटरनेट ने डिजिटल शिक्षा को और सुलभ बनाया है। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा व्यक्तिगत सीखने की गति को बढ़ावा देती है, जिससे छात्र अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार पढ़ सकते हैं।
हालांकि, डिजिटल शिक्षा के सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ी बाधा है डिजिटल डिवाइड। ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों में स्मार्टफोन, लैपटॉप, या विश्वसनीय इंटरनेट कनेक्शन की कमी एक बड़ी समस्या है। इसके अलावा, शिक्षकों और छात्रों का तकनीकी प्रशिक्षण भी अपर्याप्त है। कई शिक्षक ऑनलाइन शिक्षण के लिए तैयार नहीं हैं, और छात्रों को भी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने में कठिनाई होती है। स्क्रीन टाइम बढ़ने से स्वास्थ्य समस्याएँ, जैसे आँखों में तनाव और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, भी एक चिंता का विषय हैं। साथ ही, ऑनलाइन शिक्षा में व्यक्तिगत संपर्क और सहपाठी चर्चा की कमी से सीखने का अनुभव प्रभावित हो सकता है।
इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए सरकार, शैक्षिक संस्थानों, और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और डिवाइस की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सब्सिडी और योजनाएँ शुरू की जानी चाहिए। शिक्षकों के लिए डिजिटल शिक्षण प्रशिक्षण अनिवार्य करना होगा। साथ ही, हाइब्रिड मॉडल को बढ़ावा देना, जिसमें ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा का संतुलन हो, एक प्रभावी समाधान हो सकता है।
निष्कर्षतः, डिजिटल शिक्षा भारत में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखती है। यह न केवल शिक्षा को लोकतांत्रिक बनाती है, बल्कि देश की युवा शक्ति को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार भी करती है। लेकिन, इसके लिए तकनीकी और सामाजिक बाधाओं को दूर करना आवश्यक है। यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएँ, तो डिजिटल शिक्षा भारत के भविष्य को उज्ज्वल बना सकती है।( By: Akhilesh kumar)