Story of King VikramadityaKing Vikramaditya of ancient India is famous for his justice, bravery and wisdom.


 राजा विक्रमादित्य की कहानी

प्राचीन भारत के राजा विक्रमादित्य का नाम उनकी न्यायप्रियता, वीरता और बुद्धिमानी के लिए सदियों तक याद किया जाएगा। उनकी कहानियाँ और कृतियाँ न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में प्रेरणा का स्रोत रही हैं। विक्रमादित्य का शासनकाल इतना समृद्ध और शक्तिशाली था कि उनके दरबार में विद्वानों, कवियों और दार्शनिकों का जमावड़ा रहता था।

विक्रमादित्य का जन्म एक ऐसे समय में हुआ था जब चारों ओर शत्रु और आक्रमणकारी थे। बचपन से ही उन्होंने शौर्य और बुद्धि का प्रदर्शन किया। जैसे-जैसे वे बड़े होते गए, उन्होंने अपने राज्य को मजबूत किया और न्यायप्रियता से शासन करना प्रारंभ किया। उनके दरबार में नौ रत्नों का समावेश था, जिनमें कालिदास, वराहमिहिर, और धन्वंतरि जैसे महान व्यक्तित्व शामिल थे।

राजा विक्रमादित्य का दरबार न्याय का केंद्र था। वह प्रतिदिन अपने सिंहासन पर बैठते और प्रजा की समस्याओं का समाधान करते थे। उनकी न्यायप्रियता इतनी प्रसिद्ध थी कि लोग दूर-दूर से अपने विवादों को सुलझाने के लिए उनके पास आते थे। विक्रमादित्य का मानना था कि राजा का कर्तव्य केवल शासन करना नहीं, बल्कि अपने राज्य के हर व्यक्ति की भलाई सुनिश्चित करना भी है।

एक दिन, राजा विक्रमादित्य के पास एक व्यापारी आया और उसने राजा से न्याय की गुहार लगाई। व्यापारी ने कहा कि उसका धन किसी ने चोरी कर लिया है और उसे संदेह है कि चोर उसी के गाँव का व्यक्ति है। विक्रमादित्य ने व्यापारी की बात ध्यान से सुनी और अगले दिन सभी गाँववालों को दरबार में बुलाने का आदेश दिया।

अगले दिन जब सभी लोग राजा के सामने खड़े हुए, विक्रमादित्य ने एक चालाक योजना बनाई। उन्होंने कहा कि दरबार में उपस्थित हर व्यक्ति को एक-एक छड़ी दी जाएगी और अगले दिन वे सब छड़ियों को वापस लाएंगे। राजा ने कहा कि जिस व्यक्ति ने चोरी की है, उसकी छड़ी रात भर में एक इंच बढ़ जाएगी।

चोर डर गया और रात में उसने अपनी छड़ी को एक इंच काट दिया, ताकि वह बढ़ न सके। अगली सुबह जब सभी लोग अपनी-अपनी छड़ियाँ लेकर दरबार में आए, विक्रमादित्य ने देखा कि एक व्यक्ति की छड़ी छोटी थी। इस तरह चोर पकड़ा गया और व्यापारी को उसका धन वापस मिला।

राजा विक्रमादित्य की बुद्धिमत्ता और न्यायप्रियता के ऐसे अनेक किस्से प्रसिद्ध हैं। उनका शासनकाल भारत के इतिहास में स्वर्णिम युग के रूप में जाना जाता है। उन्होंने न केवल अपने राज्य को समृद्धि की ओर अग्रसर किया, बल्कि अपनी प्रजा के लिए एक आदर्श शासन की मिसाल पेश की।

विक्रमादित्य के इस न्यायपूर्ण और समृद्ध शासन ने उन्हें अमर बना दिया। उनकी कहानियाँ आज भी भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी। By:Akhilesh Kumar 

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