किसान की मेहनत
गांव की संकीर्ण गलियों में से होते हुए, एक छोटे से खेत तक पहुँचना कोई आसान काम नहीं था। यह खेत मोहनलाल का था, जो अपने छोटे से गांव का सबसे मेहनती किसान था। सुबह की ठंडी हवा में, जब सूरज की पहली किरणें धरती को चुमती हैं, मोहनलाल अपनी मिट्टी के साथ खेलना शुरू कर देता था।
मोहनलाल का खेत गांव के सबसे उपजाऊ खेतों में से था। उसकी मेहनत और लगन ने उसे यह सम्मान दिलाया था। हर दिन, सुबह के चार बजे उठकर, वह अपने खेत में काम करता। पहले वह बीज बोता, फिर उन बीजों की देखभाल करता। हर दिन उसकी मेहनत उसकी फसल को बढ़ावा देती, और फसल का हरा-भरा रंग उसकी मेहनत का प्रमाण था।
गांव के लोग मोहनलाल की मेहनत और दृढ़ता की मिसाल देते थे। उन्होंने बहुत सी चुनौतियों का सामना किया था - सूखा, बारिश की कमी, कीटों का हमला, लेकिन कभी भी उसकी हिम्मत नहीं टूटी। मोहनलाल के खेत में उगने वाली फसलें उसकी मेहनत की कहानी कहती थीं। उसकी फसलें स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होती थीं, जिससे उसकी पहचान बनी थी।
एक दिन, मोहनलाल के खेत में बाढ़ आ गई। नदी का पानी उसके खेत में घुस आया और फसलें डूब गईं। यह मोहनलाल के लिए एक बड़ा झटका था। लेकिन उसने हार मानने की बजाय, इस विपत्ति का सामना करने का निर्णय लिया। उसने गांव वालों से मदद मांगी और सभी ने मिलकर बाढ़ के पानी को खेत से बाहर निकालने का काम किया। मोहनलाल की लगन और गांव वालों की मदद से, खेत फिर से हरा-भरा हो गया और फसलें उगाईं गईं।
समय बीतता गया, और मोहनलाल की मेहनत का फल धीरे-धीरे मिलने लगा। उसके खेत में लहराती फसलें, खेतों में काम करते हुए बच्चे, और गांव के लोगों की खुशहाली, सबकुछ मोहनलाल की मेहनत का प्रमाण था।
मोहनलाल का जीवन हमें सिखाता है कि मेहनत, धैर्य और दृढ़ता से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। उसकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि जीवन में चाहे कितनी भी समस्याएँ आएँ, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। मेहनत का फल मीठा होता है, और यही सच्चाई मोहनलाल की कहानी में समाहित है।