सांती की यात्रा
सांती एक छोटे से गाँव की सरल और प्यारी लड़की थी। उसका दिल विशाल था, और वह हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहती थी। वह हमेशा अपनी मां की बातों को ध्यान से सुनती थी और उसकी सलाहों पर अमल करती थी।
एक दिन, गाँव में एक नई सड़क का निर्माण शुरू हुआ। निर्माण कार्य से कच्ची सड़क पर धूल उड़ने लगी, और गाँव के बच्चे चिढ़ने लगे। विशेषकर छोटे बच्चे और बुजुर्गों को इस धूल की वजह से मुश्किलें होने लगीं। सांती ने सोचा कि उसे कुछ करना चाहिए ताकि गाँववाले राहत महसूस कर सकें।
सांती ने अपने दोस्तों को इकट्ठा किया और एक योजना बनाई। उन्होंने गाँव के सभी बड़े लोगों से मिलकर सलाह ली और एक मिट्टी की दीवार बनाने का निर्णय लिया। यह दीवार धूल को रोकने में मदद करेगी। सभी ने मिलकर काम किया, और जल्दी ही एक लंबी दीवार बन गई।
पर, कुछ दिनों बाद पता चला कि दीवार की मिट्टी में कहीं-कहीं दरारें आ गई थीं। सांती को समझ में आया कि दीवार को सही से ठीक करना होगा ताकि यह अपने उद्देश्य को पूरा कर सके। उसने अपने दोस्तों को फिर से बुलाया और एक नई योजना बनाई। उन्होंने दीवार की मरम्मत की और उसके चारों ओर पौधे लगाए। पौधे मिट्टी को स्थिर बनाए रखने में मदद करेंगे और साथ ही गाँव को हरा-भरा बनाएंगे।
एक महीने बाद, दीवार ने अपना काम अच्छे से किया और धूल की समस्या लगभग समाप्त हो गई। गाँववाले बहुत खुश हुए और सांती की तारीफ की। उन्होंने देखा कि सांती की मेहनत और लगन से उनका जीवन कितना आसान हो गया था।
सांती ने सीखा कि अगर दिल से काम किया जाए और दृढ़ता से मेहनत की जाए, तो बड़ी से बड़ी समस्या को भी हल किया जा सकता है। उसने महसूस किया कि सच्ची सांती उन लोगों में होती है जो न केवल खुद को बल्कि दूसरों की भी भलाई के लिए काम करते हैं। By: Akhilesh kumar