भारतीय दुल्हन के पारंपरिक आभूषण: एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत।
भारतीय संस्कृति में शादी एक ऐसा अवसर है जो केवल दो लोगों के मिलन का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह परंपराओं, रीति-रिवाजों और सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव भी है। इस अवसर पर दुल्हन का श्रृंगार विशेष महत्व रखता है, जिसमें पारंपरिक आभूषणों की अहम भूमिका होती है। भारतीय दुल्हन के आभूषण न केवल उसकी सुंदरता को निखारते हैं, बल्कि हर आभूषण के पीछे एक गहरा सांस्कृतिक और भावनात्मक अर्थ भी छुपा होता है। आइए, इन आभूषणों के बारे में विस्तार से जानें।
सबसे पहले बात करते हैं सिर के आभूषणों की। **मांग टीका** दुल्हन के माथे पर पहना जाता है, जो उसकी शादीशुदा जिंदगी की शुरुआत का प्रतीक है। इसके साथ **शीशफूल** और **रकड़ी-बोरला** सिर को सुंदरता प्रदान करते हैं। **जूमर** मांग टीके के साथ लगाया जाता है, जो माथे पर एक आकर्षक लटकन के रूप में दिखता है। सिर पर पहने जाने वाले इन आभूषणों के साथ **पासा** भी लगाया जाता है, जो एक तरफ से सिर को सजाता है।
कानों के आभूषणों में **झुमके**, **कान की बाली**, **कान की टॉप्स** और **कान की बिल्ली** शामिल हैं। ये आभूषण दुल्हन के चेहरे की सुंदरता को और बढ़ाते हैं। खासकर झुमके भारतीय दुल्हन के श्रृंगार का अभinn हिस्सा हैं, जो हर झटके के साथ उनकी शोभा बढ़ाते हैं। नाक में पहनी जाने वाली **नथ** और **चोदबली** भी दुल्हन की शान में चार चांद लगाती हैं।
गले के आभूषणों में **हार**, **मोतीमाला**, **फटका**, **सतका** और **गले की आड** शामिल हैं। ये आभूषण दुल्हन के गले को भव्यता प्रदान करते हैं। खासकर मोतीमाला और हार का महत्व शादी के अवस पर बहुत अधिक होता है, क्योंकि इन्हें समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, **कंठी** और **कंठहार** भी गले के आभूषणों का हिस्सा हैं, जो पारंपरिक डिजाइनों में बनाए जाते हैं।
हाथों के लिए **चूड़ा**, **चूड़ी**, **बाजूबंद**, **कंगन**, **अंगूठी**, **हथफूल**, **बंगड़ी**, **तूस्सी**, **कड़े**, **बीती** और **कमरबंद** जैसे आभूषण पहने जाते हैं। चूड़ा और चूड़ी भारतीय दुल्हन के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इन्हें शादी के बाद सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। बाजूबंद और कंगन दुल्हन के हाथों को भव्यता प्रदान करते हैं, जबकि हथफूल और अंगूठी नाजुकता का स्पर्श जोड़ते हैं।
पैरों के आभूषणों में **पायजेब**, **पैर फूल**, **बिछिया**, **मटकी**, **गुल्ला**, **टांके** और **नेवरी** शामिल हैं। ये आभूषण दुल्हन के पैरों को सजाते हैं और हर कदम के साथ एक मधुर ध्वनि उत्पन्न करते हैं। बिछिया, जो पैर की उंगलियों में पहनी जाती है, विवाहित जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
कमर के लिए **कमरबंद** और **तोडा** पहना जाता है, जो दुल्हन की साड़ी या लहंगे को और आकर्षक बनाता है। इसके अलावा, **दस्तबंद** और **कडले**जैसे आभूषण भी पारंपरिक श्रृंगार का हिस्सा हैं।
भारतीय दुल्हन के ये आभूषण केवल सजावट का साधन नहीं हैं, बल्कि ये हमारी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं का प्रतीक हैं। हर आभूषण का अपना एक विशेष महत्व है, जो दुल्हन को न केवल सुंदर बनाता है, बल्कि उसे अपने परिवार और संस्कृति से जोड़े रखता है।( Akhilesh Kumar's)