विरासत की अमूल्य धरोहर
गाँव के कोने में स्थित एक पुराना, खपरैल छत वाला मकान आज भी उस समय की याद दिलाता है, जब यह घर सिर्फ एक घर नहीं बल्कि एक परिवार की विरासत का प्रतीक था। तीन पीढ़ियों की कहानियाँ उस घर के हर कोने में छिपी थीं। दीवारों पर टंगी पुरानी तसवीरें और दराजों में रखे पुराने दस्तावेज़, सब कुछ जैसे समय के साथ साक्षी रहे हों।
दादाजी, अपने पोते-पोतियों को अपने दौर की कहानियाँ सुनाते हुए गर्व से कहते, "यह मकान मेरे बाबा ने अपने हाथों से बनाया था। उस समय इतने संसाधन नहीं थे, पर जो था, उसमें ही हमने इसे खड़ा किया। यह सिर्फ ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं, बल्कि हमारी मेहनत और धैर्य की निशानी है।"
नन्हे शिवम ने उत्सुकता से पूछा, "दादाजी, आपने अपने बाबा से क्या सीखा?"
दादाजी ने हंसते हुए कहा, "बाबा कहते थे, विरासत केवल संपत्ति में नहीं होती, बल्कि हमारे विचारों, मूल्यों और संस्कारों में भी होती है। वह हमेशा कहते थे कि अगर हम अपने जीवन के सिद्धांतों पर अडिग रहें, तो हमारी विरासत कभी खत्म नहीं होगी।"
शिवम की बहन रिया ने उत्साहित होकर कहा, "तो क्या यह मकान भी हमारी विरासत है?"
"हां," दादाजी ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, "यह मकान सिर्फ पत्थरों का ढांचा नहीं, यह हमारी पहचान है। हमारी पीढ़ियाँ इस घर में पली-बढ़ी हैं। यहाँ के हर कोने में हमारे पूर्वजों की मेहनत और संघर्ष की गाथा छिपी है।"
बड़ी बहू ने बातों के बीच में कहा, "आजकल की पीढ़ी के लिए विरासत का मतलब सिर्फ पैसा और संपत्ति हो गया है। वे इस मकान की भावनात्मक और सांस्कृतिक महत्ता को नहीं समझते।"
दादाजी ने गंभीरता से कहा, "यह सच है। समय बदल गया है, लेकिन हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। यह विरासत हमें याद दिलाती है कि हमने कितना संघर्ष किया है और कहाँ से हम यहाँ तक पहुँचे हैं।"
अचानक, कमरे में सभी लोग चुप हो गए। दादाजी की बातों में गहराई थी, जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया। शिवम और रिया अपने दादा की बातों को समझने की कोशिश कर रहे थे, जबकि बड़ी बहू और दादा अपनी पुरानी यादों में खो गए थे।
यह विरासत केवल संपत्ति नहीं, बल्कि परिवार के बीच का संबंध, प्यार और विश्वास थी। एक ऐसा धागा, जो पीढ़ियों को एक साथ बाँधता है। यह मकान उनकी पहचान थी, जो उन्हें उनकी जड़ों से जोड़े हुए था।
समय के साथ शायद इस मकान की दीवारें कमजोर हो जाएँ, लेकिन इस परिवार की विरासत हमेशा मजबूत रहेगी, क्योंकि विरासत केवल भौतिक नहीं होती, वह दिलों में बसी होती है।By:Akhilesh kumar