भारतीय संस्कृति: एक धरोहर
भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे पुरानी और समृद्ध संस्कृतियों में से एक है। यह एक ऐसी संस्कृति है, जिसमें विविधता के बावजूद एकता की मिसाल देखने को मिलती है। इस संस्कृति की जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हैं और इसका हर पहलू हमें अपने गौरवशाली अतीत का एहसास कराता है।
कहानी की शुरुआत एक छोटे से गाँव से होती है, जहाँ रामू नामक एक किसान अपने परिवार के साथ रहता था। रामू का जीवन सादा था, लेकिन वह भारतीय संस्कृति के प्रति अत्यंत समर्पित था। गाँव में हर साल एक बड़ा मेला लगता था, जहाँ पूरे गाँव के लोग एकत्र होते थे और भारतीय परंपराओं को निभाते थे। रामू अपने बेटे मोहन को भी भारतीय संस्कृति के मूल्यों के प्रति जागरूक करने की कोशिश करता था, लेकिन मोहन आधुनिकता की ओर अधिक आकर्षित था।
एक दिन रामू ने मोहन से कहा, "बेटा, तुम क्यों अपनी जड़ों से दूर जा रहे हो? हमारी संस्कृति में बहुत कुछ सीखने को है।" मोहन ने उत्तर दिया, "पिता, आजकल की दुनिया बहुत बदल गई है। अब ये पुराने रीति-रिवाज किस काम के?"
रामू मुस्कुराया और मोहन को माघी पूर्णिमा के मेले में साथ चलने के लिए कहा। मेले में विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हो रही थीं। कहीं कथक नृत्य हो रहा था, तो कहीं शास्त्रीय संगीत की धुनें सुनाई दे रही थीं। मेले में आस्था, अध्यात्म, और भारतीय खान-पान की झलक भी देखने को मिल रही थी। यह सब देखकर मोहन का मन बदलने लगा।
एक वृद्ध कलाकार मिट्टी से सुंदर मूर्तियाँ बना रहा था। मोहन ने उससे पूछा, "दादा जी, आप ये मूर्तियाँ क्यों बनाते हैं?" वृद्ध ने उत्तर दिया, "बेटा, ये हमारी परंपरा है। हर मूर्ति में हमारी आस्था और श्रद्धा बसती है। ये मिट्टी ही हमारी माँ है और इसे आकार देकर हम अपनी संस्कृति को जीवित रखते हैं।"
यह सुनकर मोहन के मन में एक नई चेतना जागृत हुई। उसने महसूस किया कि भारतीय संस्कृति सिर्फ पुराने रीति-रिवाज नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है, जिसमें प्रेम, करुणा, और एकता के मूल भाव शामिल हैं।
रामू ने मोहन से कहा, "देखो बेटा, हमारी संस्कृति हमें सिखाती है कि चाहे हम कितनी भी उन्नति कर लें, अपनी जड़ों को कभी नहीं भूलना चाहिए। यही हमारी पहचान है।" मोहन ने सिर हिलाया और कहा, "पिता, अब मैं समझ गया हूँ कि भारतीय संस्कृति कितनी महत्वपूर्ण है। यह हमारी पहचान है और हमें इसे संजोकर रखना चाहिए।"
उस दिन मोहन ने ठान लिया कि वह अपनी संस्कृति और परंपराओं को समझेगा और अगली पीढ़ी को भी इसके महत्व से परिचित कराएगा। उसने अपने दोस्तों को भी गाँव के मेले में बुलाया और उन्हें भारतीय परंपराओं का अनुभव कराया।
इस प्रकार रामू और मोहन की यह यात्रा सिर्फ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक संस्कृति के हस्तांतरण की नहीं थी, बल्कि यह एक नई सोच और समझ की भी शुरुआत थी। भारतीय संस्कृति की जड़ें गहरी हैं, और यह हमें हमारी पहचान, मूल्यों, और आस्था से जोड़ती है। यही इसकी विशेषता है कि यह हमें एक-दूसरे से जोड़े रखती है, चाहे हम किसी भी पृष्ठभूमि या भाषा से हों। By : Akhilesh kumar