आकाश गंगा और तारा
एक बार की बात है, एक छोटा-सा गाँव था, जहाँ लोगों का जीवन बहुत ही शांत और सरल था। इस गाँव में राधिका नाम की एक छोटी बच्ची रहती थी, जो बहुत ही चंचल और स्वप्नदर्शी थी। राधिका की आदत थी कि हर रात वह अपने घर की छत पर बैठकर आकाश में तारों को देखा करती थी। उसे सबसे ज़्यादा आकर्षण था आकाश गंगा के बीच चमकते हुए एक विशेष तारे से, जिसे वह "अनोखा तारा" कहती थी।
राधिका की माँ ने उसे बचपन से ही आकाश गंगा की कहानियाँ सुनाई थीं। वह कहती थीं कि आकाश गंगा ब्रह्मांड का विशाल रास्ता है, जहाँ असंख्य तारे अपनी यात्रा पर निकले होते हैं। उन्हीं में से एक तारा राधिका का सबसे प्यारा साथी बन गया था। वह सोचती थी कि शायद उस तारे के पार कोई नई दुनिया होगी, जहाँ सपने सच होते हैं।
एक दिन राधिका ने अपनी माँ से कहा, "माँ, क्या मैं उस तारे तक पहुँच सकती हूँ? क्या वहाँ जाने का कोई रास्ता है?" उसकी माँ मुस्कुराईं और प्यार से कहा, "बेटी, तारे तक पहुँचना शायद हमारे लिए मुमकिन न हो, लेकिन अपने सपनों को साकार करना हमेशा मुमकिन है। जिस दिन तुम अपने सपनों को पूरा करोगी, वह तारा तुम्हारे लिए और भी ज़्यादा चमकने लगेगा।"
राधिका ने अपनी माँ की बात दिल से लगा ली। वह अपने सपनों की दुनिया में खोने लगी। उसने तय किया कि वह एक दिन कुछ ऐसा करेगी, जिससे उसका तारा और भी उज्ज्वल हो उठे। वह दिन-रात मेहनत करने लगी और अपने सपनों की ओर बढ़ने लगी।
समय बीतता गया और राधिका ने शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में कई उपलब्धियाँ हासिल कीं। वह गाँव की सबसे होशियार और प्रखर लड़की बन गई। उसकी सफलता की कहानियाँ दूर-दूर तक फैलने लगीं। जिस तारे को वह बचपन से देखती थी, वह अब और भी चमकने लगा था। अब उसे यकीन हो चला था कि सपने केवल आकाश में नहीं होते, बल्कि उन्हें ज़मीन पर भी सच किया जा सकता है।
राधिका का तारा अब उसके लिए केवल एक तारा नहीं था, बल्कि उसकी मेहनत और लगन का प्रतीक बन चुका था। वह जान गई थी कि असली तारा वो नहीं जो आकाश में चमकता है, बल्कि वो है जो हमारे अंदर छिपा होता है और हमारे सपनों को पूरा करने से चमक उठता है।
इस प्रकार, राधिका ने सीखा कि आकाश गंगा और तारे हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत होते हैं, लेकिन असली रास्ता हमें अपने दिल और दिमाग से ही बनाना होता है। By: Akhilesh kumar