अजनबी Ajnabee


 अजनबी


राहुल एक सामान्य जीवन जीता था। वह रोज़ की तरह अपने ऑफिस के काम में व्यस्त था। एक दिन, जब वह ट्रेन से अपने गाँव जा रहा था, ट्रेन में उसकी मुलाकात एक अजनबी से हुई। उस अजनबी का चेहरा कुछ जाना-पहचाना सा था, लेकिन राहुल को याद नहीं आ रहा था कि उसने उसे कब और कहाँ देखा था।


अजनबी ने सफेद कुर्ता और नीली पैंट पहन रखी थी। उसकी आँखों में गहरी उदासी थी, जैसे वह किसी बड़े बोझ तले दबा हुआ हो। राहुल ने उससे बात करने की कोशिश की, "क्या आप पहले भी इस रूट पर सफर कर चुके हैं?"


अजनबी ने थोड़ी देर तक राहुल को घूरा और फिर शांत स्वर में कहा, "हाँ, कई बार। लेकिन हर बार यह सफर अलग लगता है।" उसकी आवाज़ में एक अजीब सा खालीपन था, मानो वह अपनी ही दुनिया में खोया हुआ हो।


राहुल को जिज्ञासा होने लगी। उसने फिर पूछा, "आप कहां जा रहे हैं?"


अजनबी ने गहरी साँस ली और कहा, "वही जगह, जहां से मैं कभी नहीं लौटा।"


राहुल को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा। उसने सोचा कि शायद यह आदमी किसी मानसिक परेशानी से जूझ रहा है। लेकिन फिर भी, उसकी बातों में कुछ ऐसा था जो राहुल को और जानने के लिए प्रेरित कर रहा था। उसने कहा, "क्या आप मुझे अपने बारे में कुछ और बता सकते हैं?"


अजनबी ने धीरे-धीरे अपनी कहानी सुनानी शुरू की। वह एक समय का बेहद सफल व्यक्ति था। उसके पास बड़ा घर, परिवार और ढेर सारी दौलत थी। लेकिन अचानक एक दुर्घटना ने उसकी पूरी दुनिया बदल दी। उसका परिवार एक भयानक हादसे में खत्म हो गया, और वह अकेला रह गया।


"मैं ज़िंदा हूँ, लेकिन भीतर से मर चुका हूँ," अजनबी ने कहा। "मैं हर रोज़ उसी जगह जाता हूँ, जहां मैंने अपना सब कुछ खो दिया। शायद इस उम्मीद में कि एक दिन सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा।"


राहुल को उसके दर्द का एहसास हुआ, लेकिन वह जानता था कि अतीत को वापस नहीं लाया जा सकता। उसने अजनबी से कहा, "ज़िन्दगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं जब हम टूट जाते हैं, लेकिन हमें आगे बढ़ना होता है।"


अजनबी ने राहुल की ओर देखा, उसकी आँखों में आंसू थे, "शायद तुम सही कह रहे हो। लेकिन कभी-कभी, आगे बढ़ने की राह इतनी धुंधली होती है कि हम रास्ता खो देते हैं।"


राहुल ने उसे दिलासा दिया और कहा, "अगर तुम चाहो, तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। कभी-कभी, किसी का साथ ही अंधेरे को थोड़ा कम कर देता है।"


अजनबी ने हल्की सी मुस्कान दी और कहा, "शायद यह सही समय है कि मैं भी अतीत से आगे बढ़ूं।"


जब ट्रेन राहुल के स्टेशन पर पहुंची, वह अजनबी राहुल के साथ ट्रेन से उतरा। वह अजनबी अब इतना अजनबी नहीं रहा, क्योंकि उसकी दर्द भरी कहानी ने उसे राहुल के दिल में एक खास जगह दे दी थी। दोनों ने एक नई शुरुआत की ओर कदम बढ़ाए, और राहुल को एहसास हुआ कि कभी-कभी अजनबी भी हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन जाते हैं। By: Akhilesh kumar 

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