सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी: 2025 की प्रेरक कहानी भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से धरती पर वापसी 2025 की सबसे प्रेरक कहानियों में से एक है।

सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से वापसी: 2025 की प्रेरक कहानी

भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स की अंतरिक्ष से धरती पर वापसी 2025 की सबसे प्रेरक कहानियों में से एक है।  

5 जून 2024 को सुनीता और उनके सहयोगी बुच विल्मोर बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के साथ एक आठ-दिवसीय मिशन पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के लिए रवाना हुए थे।  

लेकिन यान में तकनीकी खराबी, विशेष रूप से थ्रस्टर की समस्या, के कारण उनका मिशन अनपेक्षित रूप से नौ महीने तक लंबा खिंच गया।  इस दौरान, सुनीता ने धैर्य, समर्पण और साहस का अनुकरणीय प्रदर्शन किया, जो दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणा बन गया। सुनीता विलियम्स, जिनका जन्म 19 सितंबर 1965 को ओहायो, अमेरिका में हुआ, भारतीय मूल की दूसरी महिला अंतरिक्ष यात्री हैं।  

उनके पिता, दीपक पांड्या, गुजरात के अहमदाबाद से थे, और उनकी माँ स्लोवेनियाई मूल की हैं।  नासा के साथ अपने करियर में सुनीता ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, जिसमें एक महिला द्वारा सबसे अधिक समय तक स्पेसवॉक (62 घंटे 6 मिनट) का रिकॉर्ड शामिल है।  2024 के मिशन में वह और विल्मोर आईएसएस पर वैज्ञानिक प्रयोगों और अनुसंधान में व्यस्त रहे।  

उन्होंने पृथ्वी की 4,577 परिक्रमाएँ पूरी कीं और 12 करोड़ मील की यात्रा की। मिशन की शुरुआत में, स्टारलाइनर के थ्रस्टर में खराबी के कारण यान आईएसएस पर डॉक नहीं कर सका।  नासा ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सुनीता और विल्मोर को स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के माध्यम से वापस लाने का निर्णय लिया।  क्रू-10 मिशन, जिसमें चार नए अंतरिक्ष यात्री शामिल थे, 16 मार्च 2025 को आईएसएस पहुँचा। 

 इसके बाद, 19 मार्च 2025 को सुनीता, विल्मोर, निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव ड्रैगन कैप्सूल में सवार होकर फ्लोरिडा के तट पर सुरक्षित उतरे।  लैंडिंग के दौरान समुद्र में डॉल्फ़िन के एक समूह ने उनका अनोखा स्वागत किया। 

अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने का मानव शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है।  माइक्रोग्रेविटी के कारण हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी, रक्त प्रवाह में बदलाव और रेडिएशन का जोखिम बढ़ जाता है।  सुनीता ने हर दिन चार घंटे व्यायाम कर अपनी सेहत बनाए रखी।  

वापसी के बाद, उन्हें और उनके सहयोगियों को रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें 'बेबी फीट' जैसे अनुभव शामिल थे, जहाँ पैरों को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का आदी होने में समय लगता है। सुनीता की वापसी ने भारत में विशेष उत्साह पैदा किया।  उनके पैतृक गाँव झूलासन, गुजरात में लोगों ने उनकी सुरक्षित वापसी के लिए प्रार्थनाएँ कीं।  केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे 'गर्व का पल' बताया।  

सुनीता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि अंतरिक्ष से भारत हरा-भरा और खूबसूरत दिखता है।  उनकी कहानी दृढ़ता और साहस की मिसाल है, जो युवाओं को विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में प्रेरित करती है।( By: Akhilesh kumar)


 

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