भारतीय रेलवे: राष्ट्र की जीवनरेखा भारतीय रेलवे, जिसे अक्सर भारत की जीवनरेखा कहा जाता है, विश्व के सबसे बड़े और व्यस्त रेल नेटवर्कों में से एक है।



 भारतीय रेलवे: राष्ट्र की जीवनरेखा

 भारतीय रेलवे, जिसे अक्सर भारत की जीवनरेखा कहा जाता है, विश्व के सबसे बड़े और व्यस्त रेल नेटवर्कों में से एक है। 1,35,207 किलोमीटर के ट्रैक पर फैला यह नेटवर्क प्रतिदिन 13,000 से अधिक ट्रेनें संचालित करता है, जो महानगरों से लेकर दूरदराज के गांवों तक को जोड़ता है। 1853 में, जब बॉम्बे से ठाणे तक पहली यात्री ट्रेन चली, तब से भारतीय रेलवे ने देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और सामाजिक ताने-बाने का महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर एक लंबा सफर तय किया है। यह प्रतिवर्ष 6.9 अरब यात्रियों और 1.58 अरब टन माल ढोता है।

 इस रेल नेटवर्क का पैमाना विशाल है। अगस्त 2024 तक, इसके ब्रॉड-गेज नेटवर्क का 96.59% विद्युतीकरण हो चुका है, जो भारत के टिकाऊ परिवहन की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। 12 लाख से अधिक कर्मचारियों के साथ, यह विश्व का नौवां सबसे बड़ा नियोक्ता है। नेटवर्क में 3,27,991 मालवाहक वैगन, 91,948 यात्री कोच और 14,781 लोकोमोटिव हैं, जो इसकी विविध आवश्यकताओं को पूरा करने की क्षमता दर्शाते हैं। आधुनिकीकरण के प्रयास, जैसे कि 160 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें, ने यात्रा समय को कम किया और वाई-फाई, जीपीएस-आधारित सूचना प्रणाली और बायो-टॉयलेट जैसी सुविधाओं के साथ यात्रियों के आराम को बढ़ाया।

 माल ढुलाई भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। 2006 में स्थापित डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ने समर्पित गलियारों के निर्माण से लॉजिस्टिक्स में क्रांति ला दी, जिससे भीड़ कम हुई और गति बढ़ी। कोकण रेलवे द्वारा शुरू की गई रोल-ऑन, रोल-ऑफ (रोरो) सेवाएं ट्रकों को फ्लैटबेड ट्रेलरों पर ले जाती हैं, जिससे इंटरमॉडल परिवहन सुगम हुआ। 2023-24 में, भारतीय रेलवे ने 1,588.06 मिलियन टन माल ढोया, जो इसे आर्थिक रीढ़ बनाता है।

 हालांकि, सुरक्षा एक चिंता का विषय है। कवच स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली जैसी प्रगति के बावजूद, जून 2024 में सिलीगुड़ी के पास हुई टक्कर जैसी दुर्घटनाएं प्रणालीगत समस्याओं को उजागर करती हैं। 2022 की नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट ने सिग्नल विफलताओं और रेल फ्रैक्चर को दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बताया, जिसमें 1961 से 2019 तक 38,500 से अधिक दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। कवच का धीमा विस्तार, जो 68,584 किमी नेटवर्क में केवल 1,500 किमी को कवर करता है, आलोचना का विषय है, और अनुमान है कि पूर्ण तैनाती में दशकों लग सकते हैं।

 आधुनिकीकरण प्राथमिकता है। अमृत भारत स्टेशन योजना 550 से अधिक स्टेशनों का पुनर्विकास कर रही है, जिसमें डिजिटल टिकटिंग और पहुंच सुविधाएं शामिल हैं। मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल, जो 2028 तक पूरी होगी, 300 किमी/घंटा की यात्रा प्रदान करेगी, जबकि नया पंबन ब्रिज इंजीनियरिंग कौशल को दर्शाता है। भारतीय रेलवे 2030 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखता है, जिसमें 97% विद्युतीकरण पहले ही पूरा हो चुका है।

 भारतीय रेलवे केवल एक परिवहन नेटवर्क नहीं है; यह एकता का प्रतीक है, जो विविध समुदायों को जोड़ता है और प्रगति को गति देता है। हालांकि सुरक्षा और भीड़ जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं, तकनीक और बुनियादी ढांचे में निवेश के माध्यम से इसका निरंतर परिवर्तन एक उज्जवल, अधिक कुशल भविष्य का वादा करता है। जैसे-जैसे यह 100% विद्युतीकरण और वंदे भारत ट्रेनों के वैश्विक निर्यात की ओर बढ़ रहा है, भारतीय रेलवे भारत की प्रगति को शक्ति प्रदान करता रहेगा।(By: Akhilesh kumar)


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