सत्य और अहिंसा के पुजारी: महात्मा गांधी
महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को अपने जीवन का आधार बनाया। उनके जन्मदिन पर, पूरे भारत में उनके योगदान को याद किया जाता है। यह दिन राष्ट्रपिता के रूप में उनकी पहचान और उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को समर्पित है।
एक बार की बात है, गांधीजी एक छोटे से गांव में गए थे। वहां के लोग गरीबी और शोषण से जूझ रहे थे। गांव के मुखिया ने गांधीजी से कहा, "बापू, हमारे गांव में गरीबी और अशिक्षा का बोलबाला है। हमें यह नहीं समझ आ रहा कि इससे कैसे निपटें।"
गांधीजी ने बड़े धैर्य से सभी की बात सुनी। फिर उन्होंने गांव वालों से कहा, "आप सभी को अपनी समस्याओं का हल खुद ही निकालना होगा। यदि आप मिल-जुलकर काम करेंगे, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं लगेगी। सबसे पहले आपको यह समझना होगा कि शिक्षित होना बहुत जरूरी है।"
गांधीजी ने गांव के बच्चों को पढ़ाई की ओर प्रेरित किया और महिलाओं को भी अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उन्होंने लोगों को बताया कि अगर वे एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे और अहिंसा का मार्ग अपनाएंगे, तो वे हर समस्या का समाधान कर सकते हैं।
गांधीजी की यह बातें सुनकर गांव के लोग बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने निर्णय लिया कि वे गांधीजी के दिखाए मार्ग पर चलेंगे। धीरे-धीरे गांव में बदलाव आने लगा। लोग मिलकर काम करने लगे, महिलाएं भी आगे आकर अपने परिवार और गांव की बेहतरी के लिए काम करने लगीं। गांव के बच्चे भी शिक्षा की ओर आकर्षित हुए।
महात्मा गांधी का यह सरल और सच्चा मार्गदर्शन गांव के लोगों के जीवन में नई रोशनी लेकर आया। उनका संदेश था कि किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं, बल्कि अहिंसा, सत्य और मिल-जुलकर काम करने से होता है।
गांधीजी का यह संदेश न केवल उस गांव के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बना। उन्होंने सिखाया कि सच्चाई और प्रेम के मार्ग पर चलकर कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है। यही कारण है कि महात्मा गांधी आज भी देश और दुनिया भर के लोगों के दिलों में जीवित हैं।
उनके जन्मदिन पर हम सभी को उनके विचारों और सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा मिलती है, ताकि हम भी उनके दिखाए रास्ते पर चलकर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। By: Akhilesh Kumar