भगवान: श्री कृष्ण की अद्भुत लीला
धार्मिक ग्रंथों में श्री कृष्ण की कथाएँ अनगिनत हैं, लेकिन उनके जीवन की एक महत्वपूर्ण कहानी उनकी बाल लीला से संबंधित है।
कृष्ण जन्म के समय एक अंधेरे कारागार में बंद थे, जहाँ उनकी माता देवकी और पिता वासुदेव को कंस, जो उनके चचेरे भाई थे, ने बंदी बना रखा था। कंस ने सुना था कि देवकी के आठवें संतान के हाथों उसकी मृत्यु होगी। इसी डर से उसने देवकी और वासुदेव को जेल में डाल दिया था और हर नवजात को मारने का आदेश दिया था।
जब श्री कृष्ण का जन्म हुआ, तो वासुदेव ने उन्हें गोवर्धन पर्वत के नीचे स्थित नंदगांव के घर भेज दिया। वहां, नंद बाबा और यशोदा माता ने कृष्ण को अपने बेटे के रूप में अपनाया। इस प्रकार, कृष्ण ने अपने बचपन में अनेक अद्भुत लीला की।
एक बार, जब कृष्ण छोटे थे, उन्होंने अपनी दोस्तों के साथ मिलकर माखन चुराने की योजना बनाई। वे अपने दोस्तों के साथ घर के छत पर चढ़ जाते और बर्तन से माखन निकालते। यशोदा माता को यह बात पता चल गई, तो उन्होंने कृष्ण को पकड़ने का प्रयास किया। लेकिन कृष्ण अपनी चपलता और अद्भुत शक्ति से माताजी से बच गए और माखन खाते रहे।
कृष्ण का एक और प्रसिद्ध उपाख्यान है जब उन्होंने अपने मित्रों को साक्षी बना कर गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाया। यह घटना तब घटी जब इंद्रदेव ने गोकुलवासियों को अपने क्रोध से दंडित करने के लिए भारी बारिश की। कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी अंगुली पर उठाकर गाँववासियों को सुरक्षित रखा और इंद्रदेव को अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया।
इन अद्भुत लीला के माध्यम से श्री कृष्ण ने लोगों को धर्म, कर्तव्य, और भक्ति का सही मार्ग दिखाया। उन्होंने अपनी नटखट हरकतों से सभी को हंसाया और साथ ही कठिन समय में अपनी शक्ति और संरक्षण का प्रमाण दिया।
श्री कृष्ण के जीवन की यह कहानियाँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं और हमारे जीवन को सच्चे मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन करती हैं। उनके बिना शर्त प्रेम, करुणा, और शक्ति का आदर्श हमें आज भी सिखाता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण में ही जीवन की सबसे बड़ी सुंदरता है। By: Akhilesh kumar