प्रयागराज महाकुंभ मेला: एक अद्भुत सत्यकथा
प्रयागराज का महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है। हर 12 साल बाद होने वाला यह मेला करोड़ों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है, जो इस आयोजन में पवित्र संगम में स्नान करके मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक मेला नहीं, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और आस्था का प्रतीक है।
यह कहानी 2019 में प्रयागराज महाकुंभ की है। मेला शुरू होने से कुछ दिन पहले से ही शहर का माहौल बदला हुआ था। दूर-दूर से श्रद्धालु ट्रेनों, बसों और पैदल यात्रा करके यहां पहुंचने लगे थे। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्नान के लिए उमड़ती भीड़ ने पूरे क्षेत्र को मानो एक जीवंत चित्र में बदल दिया था।
मैंने अपने जीवन में कभी इतने विशाल जनसमूह को एक साथ नहीं देखा था। लोग पंक्तिबद्ध होकर, धैर्यपूर्वक अपने स्नान की बारी का इंतजार कर रहे थे। उस सुबह जब मैं मेले के क्षेत्र में पहुंचा, तो एक अलग ही नजारा था। चारों तरफ साधु-संतों का जमावड़ा, उनके ध्यानमग्न चेहरे और हाथों में लिए हुए त्रिशूल व कमंडल, भक्तों की श्रद्धा में लीन झलकियां और साधुओं द्वारा विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे थे। हर कोई अपनी आस्था और विश्वास में पूरी तरह डूबा हुआ था।
स्नान का पहला दिन था और "मौनी अमावस्या" का पर्व। ऐसा माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। जैसे ही सुबह की पहली किरणें गंगा पर पड़ीं, लोग स्नान करने के लिए नदी की ओर दौड़ पड़े। पूरे वातावरण में मंत्रोच्चार, शंखनाद और घंटियों की आवाज गूंज रही थी। मैंने भी संगम के तट पर जाकर अपने पापों का प्रायश्चित करने का संकल्प लिया।
महाकुंभ मेले में न केवल भारतीय बल्कि विदेशी श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में आते हैं। मैंने कुछ विदेशी पर्यटकों से बात की, जो भारत की इस आध्यात्मिकता और विविधता से अत्यधिक प्रभावित थे। एक ब्रिटिश जोड़े ने मुझसे कहा, "यहां आकर हम भारतीय संस्कृति की गहराई को समझ पा रहे हैं। यह अनुभव अविस्मरणीय है।"
मेले में अनेक धार्मिक संस्थाएं और समाजसेवी संगठन भी सक्रिय थे। भंडारे लग रहे थे, जिसमें हर किसी को भोजन की व्यवस्था थी। कई जगहों पर योग, ध्यान और प्रवचन हो रहे थे। यह मेला सिर्फ आस्था का ही नहीं, बल्कि समाजसेवा और मानवता के लिए समर्पण का भी प्रतीक था।
जब मैं मेले से वापस लौट रहा था, तो मेरे मन में श्रद्धा और अद्भुत अनुभव की स्मृतियां थीं। मैंने महसूस किया कि महाकुंभ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, एकता और आस्था का महान उत्सव है, जो हमें अपनी जड़ों से जोड़ता है और जीवन में एक नई दिशा दिखाता है।
इस कथा में प्रयागराज के महाकुंभ मेले के दौरान के अनुभवों को सजीव किया गया है। By: Akhilesh kumar