अनुच्छेद 9: भारत की नागरिकता प्राप्त करने वाले विदेशी भारत एक विविधतापूर्ण राष्ट्र है, जहां विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है

अनुच्छेद 9: भारत की नागरिकता प्राप्त करने वाले विदेशी

 भारत एक विविधतापूर्ण राष्ट्र है, जहां विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का संगम होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक नहीं है, लेकिन विदेशी नागरिकता प्राप्त करने के बाद भारत की नागरिकता स्वेच्छा से प्राप्त करता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। यह प्रावधान मुख्य रूप से उन विदेशी नागरिकों पर लागू होता है जो भारत में बसने की इच्छा रखते हैं और भारतीय नागरिकता अपनाते हैं। अनुच्छेद 9 संविधान के भाग 2 में वर्णित है, जो नागरिकता से संबंधित है। यह अनुच्छेद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों और विदेशी मूल के लोगों के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा है, खासकर विभाजन के समय।

 भारत की नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत नियंत्रित होती है। विदेशी नागरिक भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए मुख्य रूप से तीन तरीकों का उपयोग कर सकते हैं: जन्म से, वंश से या पंजीकरण/प्राकृतिककरण से। अनुच्छेद 9 विशेष रूप से प्राकृतिककरण पर जोर देता है। प्राकृतिककरण के लिए विदेशी को भारत में कम से कम 12 वर्षों तक निवास करना पड़ता है, जिसमें अंतिम 12 महीने निरंतर रहना अनिवार्य है। इसके अलावा, आवेदक को हिंदी या अंग्रेजी भाषा का ज्ञान होना चाहिए, अच्छे चरित्र का होना चाहिए और भारत के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी पड़ती है। आवेदन केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया जाता है, जो जांच के बाद नागरिकता प्रदान करती है।

 विदेशी नागरिकों के लिए नागरिकता प्राप्त करना आसान नहीं है। उन्हें अपनी मूल नागरिकता त्यागनी पड़ती है, क्योंकि भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता। हालांकि, 2003 में संशोधन के बाद विदेशी भारतीय मूल के लोगों (PIO) और प्रवासी भारतीय नागरिकता (OCI) कार्डधारकों को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं, जैसे भारत में असीमित रहने, संपत्ति खरीदने और आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने की सुविधा। OCI विदेशी नागरिकता का विकल्प है, जो पूर्ण नागरिकता नहीं देता, लेकिन मतदान और सरकारी नौकरियों से वंचित रखता है। अनुच्छेद 9 के तहत, यदि कोई विदेशी स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह भारतीय नागरिकता खो देता है, भले ही वह भारत में जन्मा हो।

 ऐतिहासिक संदर्भ में, अनुच्छेद 9 का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा और एकता सुनिश्चित करना था। 1947 के विभाजन के दौरान लाखों लोग पाकिस्तान से भारत आए। संविधान सभा में डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने इस अनुच्छेद पर बहस करते हुए कहा कि विदेशी नागरिकता अपनाना भारत के प्रति विश्वासघात माना जाएगा। उदाहरणस्वरूप, यदि कोई भारतीय पाकिस्तानी नागरिकता लेता है, तो वह अनुच्छेद 9 के तहत भारतीय नागरिकता से वंचित हो जाता है। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों, जैसे लुईस डी रायडन बनाम भारत संघ (1954) में, इस अनुच्छेद की व्याख्या की गई है कि स्वेच्छा से विदेशी नागरिकता प्राप्त करना ही नागरिकता हानि का कारण है, जबरदस्ती नहीं।

 आधुनिक समय में, अनुच्छेद 9 की प्रासंगिकता बढ़ गई है। वैश्वीकरण के युग में कई विदेशी भारत में निवेश, शिक्षा या विवाह के माध्यम से बसना चाहते हैं। 2019 के नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान किया, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों। यह अनुच्छेद 9 के साथ जुड़ा है, क्योंकि ये शरणार्थी विदेशी हैं और प्राकृतिककरण से नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, मुस्लिम शरणार्थियों को बाहर रखने पर विवाद हुआ, जिसे कुछ लोग भेदभावपूर्ण मानते हैं।

 नागरिकता प्राप्त करने के लाभ अनेक हैं। भारतीय नागरिक को मतदान का अधिकार, सरकारी नौकरियां, पासपोर्ट और विदेश यात्रा की सुविधा मिलती है। विदेशी नागरिकों के लिए यह भारत की समृद्ध संस्कृति में शामिल होने का अवसर है। लेकिन चुनौतियां भी हैं, जैसे लंबी प्रक्रिया, दस्तावेजों की जांच और सुरक्षा जांच। कई मामले में आवेदन अस्वीकार हो जाते हैं यदि आवेदक का आपराधिक रिकॉर्ड हो या राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो।

 अंत में, अनुच्छेद 9 भारत की संप्रभुता की रक्षा करता है और विदेशी नागरिकों को नागरिकता प्राप्त करने का नियंत्रित मार्ग प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि नागरिकता केवल योग्य और निष्ठावान व्यक्तियों को मिले। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में नागरिकता न केवल अधिकार है, बल्कि कर्तव्य भी है। विदेशी जो भारत को अपना घर बनाना चाहते हैं, उन्हें संविधान की भावना का सम्मान करना चाहिए। भविष्य में, बढ़ते प्रवासन के साथ इस अनुच्छेद में और संशोधन की आवश्यकता पड़ सकती है, ताकि वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। कुल मिलाकर, अनुच्छेद 9 भारत की नागरिकता नीति की आधारशिला है, जो राष्ट्र की एकता और अखंडता को मजबूत बनाता है।

 (Written By: Akhilesh Kumar)


 

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