ईरान-इज़राइल युद्ध: तनाव और परिणाम ईरान और इज़राइल के बीच तनाव कई दशकों से चला आ रहा है, लेकिन 2025 में यह तनाव एक पूर्ण युद्ध में बदल गया,

ईरान-इज़राइल युद्ध: तनाव और परिणाम 

ईरान और इज़राइल के बीच तनाव कई दशकों से चला आ रहा है, लेकिन 2025 में यह तनाव एक पूर्ण युद्ध में बदल गया, जिसने मध्य पूर्व को अस्थिरता के कगार पर ला खड़ा किया।  यह संघर्ष न केवल दोनों देशों के बीच की भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा का परिणाम है, बल्कि ऐतिहासिक, धार्मिक और वैचारिक मतभेदों का भी नतीजा है।  इस युद्ध के कारण और परिणाम वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। 

तनाव के कारण ईरान और इज़राइल के बीच दुश्मनी की जड़ें 1979 की ईरानी क्रांति में निहित हैं, जब इस्लामी गणराज्य ने इज़राइल को "सियोनवादी शासन" करार दिया।  इसके बाद, ईरान ने हिज़बुल्लाह और हमास जैसे समूहों को समर्थन देना शुरू किया, जो इज़राइल के खिलाफ प्रॉक्सी युद्ध लड़ते हैं।  दूसरी ओर, इज़राइल को ईरान के परमाणु कार्यक्रम से खतरा महसूस होता है।  इज़राइल का मानना है कि ईरान के पास परमाणु हथियार बनाना उसके अस्तित्व के लिए खतरा हो सकता है। 

 13 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला किया, जिसके जवाब में ईरान ने ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस III के तहत सैकड़ों मिसाइलें और ड्रोन इज़राइल पर दागे।  यह युद्ध क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और वैश्विक कूटनीति को प्रभावित कर रहा है। युद्ध का स्वरूपयह युद्ध पारंपरिक और आधुनिक युद्ध तकनीकों का मिश्रण है।

  इज़राइल की उन्नत वायु रक्षा प्रणाली, जैसे आयरन डोम और एरो-3, ने ईरानी मिसाइलों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।  वहीं, ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलें और सस्ते ड्रोन ने इज़राइल के शहरों, जैसे तेल अवीव, को निशाना बनाया। 

 दोनों देशों ने एक-दूसरे के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिससे भारी जनहानि हुई।  ईरान में 600 से अधिक और इज़राइल में दर्जनों लोगों की मौत की खबरें हैं। वैश्विक परिणामइस युद्ध ने मध्य पूर्व में अस्थिरता को बढ़ाया है।  अमेरिका ने इज़राइल का समर्थन करते हुए ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए, जिससे तनाव और गहरा गया।  ईरान ने होर्मुज़ जलडमरूमध्य को बंद करने की धमकी दी, जिससे वैश्विक तेल आपूर्ति पर संकट मंडराने लगा।  

भारत जैसे देशों को भी इसका असर झेलना पड़ रहा है, क्योंकि पश्चिम एशिया के साथ उसका 3.6 लाख करोड़ रुपये का व्यापार खतरे में है। मानवीय संकटयुद्ध ने दोनों देशों में नागरिकों के लिए भयावह स्थिति पैदा की है।  इज़राइल के तेल अवीव और ईरान के तेहरान में लोग बंकरों में शरण ले रहे हैं।  भारत ने अपने नागरिकों, खासकर छात्रों, को सुरक्षित निकालने के लिए "ऑपरेशन सिंधु" शुरू किया। 

निष्कर्ष ईरान-इज़राइल युद्ध केवल दो देशों का संघर्ष नहीं, बल्कि एक जटिल भू-राजनीतिक संकट है।  अंतरराष्ट्रीय समुदाय को युद्धविराम के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, अन्यथा यह क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।( By: Akhilesh kumar)


 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

#buttons=(Good Work!) #days=(20)

हेलो दोस्तों https://www.novelists.co.in/ "मैं अखिलेश कुमार, एक उपन्यासकार और सामग्री लेखक हूँ। कहानियों और उपन्यासों के माध्यम से समाज की अनकही पहलुओं को उजागर करने में रुचि रखता हूँ।""इस वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल सूचना और मनोरंजन के उद्देश्य से है। लेखक किसी भी प्रकार की त्रुटि, असंगति या नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं है।"Good Work
Accept !