गुरु नानक जयंती पर विशेष: मानवता की सेवा का मार्ग हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाने वाला गुरु नानक जयंती का पर्व सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है। वर्ष 2025 में यह पावन अवसर 5 नवंबर, बुधवार को पड़ रहा है।

गुरु नानक जयंती पर विशेष: मानवता की सेवा का मार्ग

 हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मनाया जाने वाला गुरु नानक जयंती का पर्व सिख धर्म का सबसे महत्वपूर्ण उत्सव है।  वर्ष 2025 में यह पावन अवसर 5 नवंबर, बुधवार को पड़ रहा है। 977930 यह दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती के रूप में विश्व भर में धूमधाम से मनाया जाएगा।  गुरु नानक देव जी का जीवन और उनकी शिक्षाएं आज भी मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, विशेष रूप से मानवता की सेवा का मार्ग, जो उनकी मूल तीन शिक्षाओं—नाम जपो, किरत करो और वंड छको—में निहित है।

 गुरु नानक देव जी का जन्म 1469 में तलवंडी (वर्तमान ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। एक बार तीन दिन नदी में गायब होने के बाद वे लौटे और घोषणा की, "न को हिंदू, न मुसलमान"—यानी सभी मनुष्य एक ही ईश्वर की संतान हैं।  उनकी चार प्रमुख उदासियां (यात्राएं) एशिया के विभिन्न भागों में फैलीं, जहां उन्होंने हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध सभी से संवाद किया और मानवता की एकता पर जोर दिया।

 गुरु नानक जी की शिक्षाओं का केंद्र बिंदु मानवता की सेवा है।  उन्होंने कहा, "सेवा करनी है, पर उपकार नहीं चाहिए"—अर्थात सेवा निस्वार्थ भाव से की जानी चाहिए, बिना किसी प्रतिफल की अपेक्षा के। उनकी प्रसिद्ध शिक्षा "वंड छको" का अर्थ है अपनी कमाई का हिस्सा दूसरों के साथ बांटो।  इससे लंगर प्रथा की शुरुआत हुई, जहां गुरुद्वारों में सभी जाति, धर्म, अमीर-गरीब एक साथ बैठकर भोजन ग्रहण करते हैं।  यह समानता और सेवा का जीवंत उदाहरण है।  "किरत करो" से मेहनत की कमाई और "नाम जपो" से ईश्वर स्मरण के साथ सेवा को जोड़कर उन्होंने बताया कि सच्ची भक्ति मानव सेवा में ही है। 

 आज के युग में, जब दुनिया विभाजन, असमानता और स्वार्थ से ग्रस्त है, गुरु नानक जी का सेवा का मार्ग अत्यंत प्रासंगिक है।  महामारी, प्राकृतिक आपदाओं या सामाजिक संकटों में सिख समुदाय लंगर और सेवा के माध्यम से आगे आता है। गुरु जी ने सिखाया कि "मानवता की सेवा ही ईश्वर की सेवा है"।  उन्होंने जातिवाद, लिंग भेदभाव का विरोध किया और महिलाओं को सम्मान दिया।  उनकी वाणी में कहा गया, "सबना जीआ एका छांव"—सभी प्राणियों पर एक ही छाया है।

 गुरु नानक जयंती पर गुरुद्वारों में अखंड पाठ, कीर्तन, नगर कीर्तन और लंगर का आयोजन होता है।  यह पर्व हमें याद दिलाता है कि सेवा से ही समाज में प्रेम, शांति और एकता आ सकती है।  आइए, इस प्रकाश पर्व पर संकल्प लें कि हम निस्वार्थ सेवा अपनाकर गुरु नानक जी के मार्ग पर चलें।  उनकी शिक्षाएं न केवल सिखों के लिए, बल्कि पूरे मानव जाति के लिए अमर संदेश हैं।

 इस पर्व की शुभकामनाएं!  वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह!

 (Akhilesh Kumar is the author)


 

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