21वीं सदी में भारत की विदेश नीति: एक विश्लेषण
21वीं सदी में भारत की विदेश नीति ने वैश्विक मंच पर अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। स्वतंत्रता के बाद से भारत की विदेश नीति का आधार गुट-निरपेक्षता, शांति और सहयोग रहा है, लेकिन वैश्विक परिदृश्य में बदलाव और भारत की बढ़ती आर्थिक-राजनीतिक शक्ति ने इसे और गतिशील बनाया है। आज भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों, क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक साझेदारी को संतुलित करने का प्रयास करती है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और विकास
स्वतंत्रता के बाद भारत ने गुट-निरपेक्ष आंदोलन (NAM) के माध्यम से शीत युद्ध के दौर में तटस्थता बनाए रखी। जवाहरलाल नेहरू की दूरदर्शिता ने भारत को वैश्विक मंच पर एक स्वतंत्र आवाज दी। हालांकि, 21वीं सदी में वैश्वीकरण, तकनीकी प्रगति और भू-राजनीतिक बदलावों ने भारत को अपनी नीतियों को पुनर्परिभाषित करने के लिए प्रेरित किया। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी स्थिति मजबूत की, जिसने विदेश नीति को और अधिक व्यापक और रणनीतिक बनाया।
प्रमुख विशेषताएं
1. आर्थिक कूटनीति: भारत ने अपनी विदेश नीति में आर्थिक हितों को प्राथमिकता दी है। 'मेक इन इंडिया', डिजिटल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियान वैश्विक निवेश और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए हैं। भारत ने अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत किया है। When it comes to the G20 and the BRICS countries, 2. क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारी: भारत ने 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है। साथ ही, क्वाड (QUAD) और इंडो-पैसिफिक रणनीति के माध्यम से भारत ने अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक साझेदारी विकसित की है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
3. सुरक्षा और रक्षा: भारत की विदेश नीति में सुरक्षा एक प्रमुख मुद्दा है। आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत ने वैश्विक सहयोग बढ़ाया है। रक्षा क्षेत्र में भारत ने रूस, अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी की है, जिससे सैन्य आधुनिकीकरण को बल मिला है।
4. सॉफ्ट पावर: भारत ने अपनी सांस्कृतिक विरासत, योग, आयुर्वेद और बॉलीवुड के माध्यम से वैश्विक सॉफ्ट पावर को बढ़ावा दिया है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस और भारतीय डायस्पोरा की सक्रियता ने भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को मजबूत किया है।
चुनौतियां
भारत की विदेश नीति के समक्ष कई चुनौतियां हैं। चीन के साथ सीमा विवाद, पाकिस्तान के साथ तनाव और क्षेत्रीय अस्थिरता भारत के लिए प्रमुख मुद्दे हैं। इसके अलावा, जलवायु परिवर्तन, वैश्विक स्वास्थ्य संकट और तकनीकी प्रतिस्पर्धा जैसे वैश्विक मुद्दों पर भारत को अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी।
निष्कर्ष
21वीं सदी में भारत की विदेश नीति ने राष्ट्रीय हितों और वैश्विक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन स्थापित किया है। भारत ने एक उभरती शक्ति के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत करते हुए वैश्विक शांति और सहयोग में योगदान दिया है। भविष्य में, भारत को अपनी कूटनीतिक रणनीतियों को और अधिक लचीला और नवोन्मेषी बनाना होगा ताकि वह वैश्विक मंच पर एक नेतृत्वकारी भूमिका निभा सके।( Written by: Akhilesh kumar)