चाँदनी रात : जहाँ सपने हकीकत बनते हैं
रात का आलम कुछ अलग ही होता है। जब सूरज डूब जाता है और आसमान पर चाँद अपनी पूरी शान से चमकने लगता है, तो धरती पर एक जादुई चाँदनी बिखर जाती है। चारों तरफ़ चाँदी सी चमक, हल्की-हल्की ठंडक और ख़ामोशी का ऐसा मेल जो दिल को सुकून देता है। इसी चाँदनी रात में सपने सच होने की कहानियाँ छिपी होती हैं।
प्राचीन काल से ही चाँदनी रात को रहस्यमयी और रोमांटिक माना जाता रहा है। कवि लिखते हैं, प्रेमी मिलते हैं, और सपने पंख लगाकर उड़ने लगते हैं। याद कीजिए शायरों की वो पंक्तियाँ – “चाँदनी रातें, चाँदनी रातें, सब जग सोवे चाँदनी रातें…”। इन रातों में हवा भी जैसे धीमे-धीमे गुनगुनाती है और हर दिल में एक अधूरी सी ख्वाहिश जाग उठती है।
चाँदनी रात में अकेले टहलते हुए लगता है कि सारी दुनिया रुक सी गई है। दूर कहीं कुत्तों की भूँक, पत्तियों की सरसराहट और चाँद की रोशनी में चमकते हुए रास्ते – सब मिलकर एक अलग ही दुनिया बना देते हैं। इसी दुनिया में हम अपने भीतर छिपे सपनों से मिलते हैं। वो सपने जो दिन की चकाचौंध में दब जाते हैं, रात की इस चाँदनी में साँस लेने लगते हैं। कोई बच्चा सोचता है कि बड़ा होकर पायलट बनेगा, कोई जवान अपने पहले प्यार को याद करता है, कोई बूढ़ा अपने बीते दिनों को फिर से जीने की तमन्ना करता है। चाँदनी रात सबको अपने-अपने सपनों की गली में ले जाती है।
कहते हैं चाँदनी रात में की गई दुआ जल्दी कबूल होती है। मस्जिदों में तरावीह की नमाज़, मंदिरों में कीर्तन, और घरों की छतों पर मन्नतें माँगते लोग – सब इसी चाँदनी में डूबे होते हैं। शायद इसलिए कि इस रात में इंसान का दिल सबसे साफ़ और सबसे करीब़ खुदा के होता है। कोई रोटी का टुकड़ा ग़रीब को देता है, कोई माफ़ी माँगता है, कोई वादा करता है कि अब नहीं चूकेगा। चाँदनी रात गवाह बनती है इन वादों की।
ग्रामीण इलाकों में तो चाँदनी रात का मज़ा ही अलग है। खेतों में चाँदी सी चमकती फसलें, नदी का पानी चाँद को निहारता हुआ, और गाँव की चौपाल पर बैठे बुजुर्ग जो चाँदनी में ही कहानियाँ सुनाते हैं। बच्चे चाँद को देखकर पूछते हैं, “चाचा, चाँद मामा कब आएँगे?” और बड़े हँसते हुए कहते हैं, “बेटा, वो तो रोज़ आते हैं, बस आज थोड़ा ज़्यादा मुस्कुरा रहे हैं।”
शहरों में भी चाँदनी रात कम जादुई नहीं होती। ऊँची-ऊँची इमारतों के बीच छत पर खड़े होकर जब चाँद को देखते हैं, तो लगता है कि ये रोशनी सिर्फ़ हमारे लिए ही बिखरी है। प्रेमी जोड़ों की व्हाट्सएप चैट में “चाँद देखा?” वाला मैसेज इसी रात में सबसे ज़्यादा आता है। कोई गिटार बजाता है, कोई पुराना गाना गुनगुनाता है – “चाँद फिर निकला...”
चाँदनी रात सचमुच वो वक़्त है जब सपने हकीकत की दहलीज पर खड़े होकर मुस्कुराते हैं। ये वो रातें हैं जो हमें याद दिलाती हैं कि जिंदगी सिर्फ़ भागदौड़ नहीं, इसमें सुकून भी है, ख्वाहिशें भी हैं, और प्यार भी है। बस ज़रूरत है तो इन चाँदनी रातों को जी भर के जीने की, और अपने सपनों को थोड़ा सा हकीकत बनाने की हिम्मत करने की।
क्योंकि जब तक चाँदनी रातें हैं, सपने जीवित रहेंगे।
और जब तक सपने जीवित हैं, जिंदगी में उम्मीद बाकी है।
(Written By: Akhilesh kumar)


