रूस-यूक्रेन युद्ध: पुतिन ने छोड़ी परमाणु बम की धमकी
रूस-यूक्रेन युद्ध ने विश्व पटल को हिला कर रख दिया है। फरवरी 2022 से चला आ रहा यह संघर्ष अब 1,000 दिनों को पार कर चुका है, और हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की परमाणु हथियारों से जुड़ी धमकी ने वैश्विक तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है। पुतिन ने स्पष्ट चेतावनी जारी की है कि यदि नाटो देश यूक्रेन को परमाणु हथियार प्रदान करते हैं, तो रूस अपने सभी विध्वंसकारी हथियारों का इस्तेमाल करेगा। यह बयान कजाकिस्तान की राजधानी अस्ताना में दिए गए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया, जहां पुतिन ने कहा, "यदि हमसे लड़ रहा कोई देश परमाणु शक्ति संपन्न बन जाता है, तो हमें सभी उपलब्ध हथियारों का उपयोग करना पड़ेगा।" यह धमकी न केवल यूक्रेन के लिए, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन और नाटो गठबंधन के लिए भी गंभीर संकेत देती है।
युद्ध की शुरुआत 2014 से ही मानी जा सकती है, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा कर लिया और डोनेट्स्क-लुहांस्क क्षेत्रों में अलगाववादियों का समर्थन किया। लेकिन 2022 में पूर्ण आक्रमण ने इसे नई ऊंचाई दे दी। पुतिन का दावा रहा है कि यह "विशेष सैन्य अभियान" यूक्रेन को नाजीवाद से मुक्त करने और रूसी हितों की रक्षा के लिए है। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इसे रूसी साम्राज्यवाद का प्रतीक बताया है। अब तक लाखों सैनिक मारे गए हैं, करोड़ों विस्थापित हुए हैं, और यूक्रेन की ऊर्जा सुविधाओं पर रूसी हमलों ने सर्दियों में जनजीवन को नर्क बना दिया। रूस ने हाल ही में यूक्रेन की बिजली और गैस इंफ्रास्ट्रक्चर पर व्यापक बमबारी की, जिससे लाखों लोग बिजली के बिना ठंडे में सिहर रहे हैं।
परमाणु धमकी का इतिहास इस युद्ध के साथ ही जुड़ गया। फरवरी 2022 में ही पुतिन ने परमाणु मिसाइलों को "विशेष युद्धकालीन तत्परता" पर रखने का आदेश दिया था, जिसे पश्चिमी दुनिया ने तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से जोड़ा। सितंबर 2022 में, जब यूक्रेन ने रूस के खार्किव क्षेत्र में सफलतापूर्वक जवाबी कार्रवाई की, तो पुतिन ने कहा, "ऐसे परिणाम होंगे जिनका इतिहास में कभी अनुभव नहीं हुआ।" रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यदि नाटो रूसी भूमि पर हमला करता है, तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल अपरिहार्य होगा। बीबीसी के अनुसार, रूस के सैन्य सिद्धांत में परमाणु हथियार तब इस्तेमाल किए जाते हैं जब राष्ट्रीय अस्तित्व पर खतरा हो। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ये धमकियां ब्लफ हैं—रूस की अर्थव्यवस्था पहले ही पश्चिमी प्रतिबंधों से चरमरा चुकी है, और परमाणु हमला वैश्विक प्रतिक्रिया को आमंत्रित करेगा।
हाल के बदलावों ने तस्वीर और जटिल बना दी है। सितंबर 2024 में रूस ने अपनी परमाणु नीति में संशोधन किया, जिसमें कहा गया कि यदि कोई गैर-परमाणु देश (जैसे यूक्रेन) परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र (जैसे अमेरिका) के साथ मिलकर हमला करता है, तो इसे संयुक्त परमाणु आक्रमण माना जाएगा। यह नीति सीधे नाटो की यूक्रेन को दी जाने वाली लंबी दूरी की मिसाइलों (जैसे एटीएसीएमएस) पर निशाना साधती है। जुलाई 2024 में पुतिन ने नाटो को चेताया कि यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति बंद न की गई, तो परमाणु अभ्यास तेज हो जाएंगे। रूस ने बेलारूस के साथ संयुक्त परमाणु ड्रिल भी की। लेकिन क्या पुतिन वास्तव में परमाणु बटन दबाएंगे? विशेषज्ञों के मुताबिक, टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों (छोटे स्तर के) का इस्तेमाल यूक्रेन पर संभव है, लेकिन इससे रूस खुद रेडिएशन का शिकार हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों की सीमाएं सटी हुई हैं।
इस धमकी के वैश्विक प्रभाव गंभीर हैं। अमेरिका ने यूक्रेन को परमाणु हथियार देने की किसी योजना से इनकार किया है, लेकिन खुफिया सहयोग जारी रखा है। यूरोपीय संघ ने रूस पर नए प्रतिबंध लगाए, जबकि भारत जैसे तटस्थ देशों के लिए यह सबक है—परमाणु ब्लैकमेल कैसे काम करता है। नवभारत टाइम्स के अनुसार, पाकिस्तान जैसे पड़ोसी के संदर्भ में भारत को अपनी परमाणु क्षमता मजबूत करनी चाहिए।a63334 संयुक्त राष्ट्र ने शांति वार्ता की अपील की, लेकिन पुतिन ने कहा कि वार्ता तभी जब यूक्रेन रूसी दावों को स्वीकार करे।
निष्कर्षतः, पुतिन की परमाणु धमकी युद्ध को लंबा खींचने का हथकंडा लगती है, लेकिन यह विश्व शांति के लिए खतरा बनी हुई है। यदि नाटो और रूस के बीच सीधी टक्कर हुई, तो परिणाम विनाशकारी होंगे। यूक्रेन की वीरता ने रूस को बैकफुट पर धकेल दिया है, लेकिन शांति की राह कठिन है। विश्व समुदाय को कूटनीति से ही इस संकट का समाधान खोजना होगा, वरना मानवता का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।(Written By:Akhilesh Kumar)


