घूमता हुआ विनाश: चक्रवात की शक्ति प्रकृति की अनंत शक्तियों में चक्रवात एक ऐसा रूप है जो मानव सभ्यता को चुनौती देता रहा है। समुद्र की गहराइयों से जन्म लेकर यह घूमता हुआ विनाश आँखों के सामने शहरों को उजाड़ देता है।


घूमता हुआ विनाश: चक्रवात की शक्ति

 प्रकृति की अनंत शक्तियों में चक्रवात एक ऐसा रूप है जो मानव सभ्यता को चुनौती देता रहा है।  समुद्र की गहराइयों से जन्म लेकर यह घूमता हुआ विनाश आँखों के सामने शहरों को उजाड़ देता है।  चक्रवात, जिसे अंग्रेजी में 'साइक्लोन' या 'टाइफून' कहते हैं, एक विशाल चक्राकार तूफान होता है जो निम्न वायुदाब के केंद्र के चारों ओर तेज हवाओं के साथ घूमता है।  इसकी शक्ति इतनी प्रचंड होती है कि 200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की रफ्तार वाली हवाएँ पेड़ उखाड़ फेंकती हैं, घरों को ध्वस्त कर देती हैं और समुद्री लहरें तटीय इलाकों को डुबो देती हैं।
 चक्रवात का जन्म और विकास
 चक्रवात का जन्म गर्म समुद्री जल से होता है।  जब समुद्र का तापमान 26 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तब नमी युक्त गर्म हवा ऊपर उठती है और ठंडी हवा उसकी जगह लेती है।  इससे एक चक्र शुरू होता है।  कोरियोलिस प्रभाव के कारण यह चक्र घूमने लगता है।  उत्तरी गोलार्ध में यह वामावर्त (एंटी-क्लॉकवाइज) और दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिणावर्त (क्लॉकवाइज) घूमता है।  धीरे-धीरे यह विशालकाय रूप धारण कर लेता है, जिसका व्यास सैकड़ों किलोमीटर तक हो सकता है।
 भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर चक्रवातों के प्रमुख केंद्र हैं।  अप्रैल-मई और अक्टूबर-दिसंबर के बीच ये सबसे सक्रिय रहते हैं।  1999 का ओडिशा सुपर साइक्लोन, 2004 का सुनामी के बाद आया चक्रवात, 2013 का फेलिन, 2019 का फानी और हाल ही में 2024 का रेमल – ये सभी भारत के तटीय राज्यों को भारी क्षति पहुँचा चुके हैं।
 विनाश की तीव्रता
 चक्रवात की शक्ति को 'सैफिर-सिम्पसन स्केल' से मापा जाता है।  श्रेणी 1 से 5 तक की इस स्केल में श्रेणी 5 सबसे खतरनाक होती है।  250 किमी/घंटा से अधिक गति वाली हवाएँ, 5-6 मीटर ऊँची लहरें और भारी बारिश – ये सब मिलकर तबाही मचाते हैं।  ओडिशा में 1999 के चक्रवात में 10,000 से अधिक लोग मारे गए थे।  घर, सड़कें, बिजली, संचार – सब कुछ ठप हो जाता है।  समुद्र तट से 50 किलोमीटर अंदर तक पानी घुस जाता है।
 जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
 वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे चक्रवातों की संख्या और तीव्रता दोनों बढ़ रही हैं।  पहले जहाँ साल में 4-5 चक्रवात आते थे, अब उनकी आवृत्ति और शक्ति में वृद्धि देखी जा रही है।  ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण बंगाल की खाड़ी में सुपर साइक्लोन बनने की संभावना बढ़ गई है।
 बचाव और तैयारी
 चक्रवात की भविष्यवाणी अब संभव हो गई है।  भारतीय मौसम विभाग (IMD) और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियाँ उपग्रहों, रडार और कंप्यूटर मॉडल से 72 घंटे पहले चेतावनी जारी कर देती हैं।  लेकिन विनाश को पूरी तरह रोकना असंभव है।  इसलिए तैयारी महत्वपूर्ण है।  तटीय क्षेत्रों में चक्रवात आश्रय गृह, ऊँचे मचान, मजबूत भवन और निकासी योजनाएँ आवश्यक हैं।  मछुआरों को समुद्र में न जाने की चेतावनी, स्कूल-कॉलेज बंद करना, बिजली लाइनें सुरक्षित करना – ये कदम जान बचाते हैं।
 निष्कर्ष
 घूमता हुआ विनाश कोई कल्पना नहीं, बल्कि प्रकृति की सशक्त चेतावनी है।  चक्रवात हमें सिखाता है कि मानव कितना भी उन्नत हो जाए, प्रकृति के सामने उसकी सीमाएँ हैं।  लेकिन विज्ञान, जागरूकता और सामूहिक प्रयास से हम इस शक्ति का मुकाबला कर सकते हैं।  अगला चक्रवात जब आए, तो हम तैयार रहें – क्योंकि जीवन अमूल्य है और तैयारी ही सुरक्षा की कुंजी है।
 (Akhilesh Kumar is the author)


 

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