खरना का महत्व: छठ पूजा का दूसरा दिन
छठ पूजा, भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की उपासना को समर्पित है, जो प्रकृति और जीवन के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। छठ पूजा चार दिनों तक चलने वाला एक कठिन व्रत है, जिसमें खरना दूसरा महत्वपूर्ण दिन है। खरना का यह दिन छठ पूजा के अनुष्ठानों में विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह व्रत की शुद्धता और भक्ति को और गहरा करता है।
खरना, छठ पूजा के दूसरे दिन मनाया जाता है, जो नहाय-खाय के बाद और मुख्य छठ पूजा से पहले आता है। इस दिन व्रती (व्रत रखने वाले) पूरे दिन उपवास करते हैं और सूर्यास्त के बाद विशेष अनुष्ठान करते हैं। खरना का उपवास निर्जला होता है, जिसमें व्रती बिना पानी और भोजन के दिनभर भक्ति में लीन रहते हैं। सूर्यास्त के समय, व्रती स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करते हैं और फिर पूजा की तैयारी शुरू करते हैं। इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है खरना का प्रसाद, जो गुड़ और चावल से बनी खीर, रोटी और केले का भोग लगाया जाता है।
खरना का प्रसाद बहुत ही सात्विक और पवित्र माना जाता है। इसे तैयार करने में विशेष सावधानी बरती जाती है। प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर और आम की लकड़ी के उपयोग से बनाया जाता है, जो इस अनुष्ठान की शुद्धता को और बढ़ाता है। प्रसाद तैयार होने के बाद, इसे पहले सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती इस प्रसाद को ग्रहण कर अपना उपवास तोड़ते हैं। इस प्रसाद को परिवार और पड़ोसियों के बीच भी बांटा जाता है, जो समुदाय में एकता और भाईचारे का प्रतीक है।
खरना का महत्व केवल प्रसाद और उपवास तक सीमित नहीं है। यह दिन व्रती के आत्मसंयम, धैर्य और भक्ति की परीक्षा भी है। खरना के दिन का उपवास व्रती को शारीरिक और मानसिक रूप से मुख्य छठ पूजा के लिए तैयार करता है, जो अगले दो दिनों में और भी कठिन होता है। यह अनुष्ठान व्रती को आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है, ताकि वे सूर्य देव और छठी मैया की पूजा पूरे समर्पण के साथ कर सकें।
खरना का दिन सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन परिवार और समुदाय एक साथ आते हैं, जिससे आपसी प्रेम और सहयोग की भावना मजबूत होती है। खरना छठ पूजा का एक ऐसा पड़ाव है, जो भक्तों को न केवल सूर्य और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है, बल्कि आत्मिक शुद्धि और सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है। इस प्रकार, खरना छठ पूजा के दूसरे दिन के रूप में न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखता है।
(Written By: Akhilesh kumar)


