छठ पूजा, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठी मइया की उपासना का प्रतीक है, जो प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और जीवन शक्ति के लिए समर्पित है। छठ पूजा का अनुष्ठान चार दिनों तक चलता है, और इसका प्रारंभ 'नहाय खाय' के साथ होता है, जो इस पर्व का पहला और महत्वपूर्ण चरण है।
नहाय खाय: पवित्रता का प्रथम सोपान
नहाय खाय छठ पूजा का पहला दिन है, जो इस पर्व की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन व्रती (उपासक) अपने शरीर और मन को शुद्ध करने के लिए विशेष अनुष्ठान करते हैं। सुबह जल्दी उठकर व्रती पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में स्नान करते हैं। यह स्नान न केवल शारीरिक शुद्धता के लिए होता है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धता और पवित्रता का भी प्रतीक है। स्नान के बाद घर की साफ-सफाई की जाती है, और विशेष रूप से रसोई को शुद्ध किया जाता है। इस दिन भोजन के रूप में सादा और सात्विक भोजन तैयार किया जाता है, जिसमें चावल, दाल, कद्दू की सब्जी और चने की दाल शामिल होती है। यह भोजन व्रती और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा ग्रहण किया जाता है।
छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा का महत्व केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी है। यह पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा अवसर है। सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है, और इस पर्व में सूर्य की उपासना के साथ-साथ जल, वायु और प्रकृति के अन्य तत्वों का सम्मान किया जाता है। छठ पूजा में महिलाएं और पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं, और यह परिवार के सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए किया जाता है। यह पर्व सामाजिक एकता को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि इस दौरान समुदाय के लोग एक साथ नदियों और घाटों पर इकट्ठा होते हैं।
नहाय खाय की तैयारी और परंपराएं
नहाय खाय के दिन व्रती और उनके परिवार वाले सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करते हैं। इसके बाद, पवित्र जल में स्नान कर नए और साफ कपड़े पहने जाते हैं। भोजन बनाने में विशेष ध्यान रखा जाता है कि वह पूर्णतः सात्विक और शुद्ध हो। कई जगहों पर कद्दू की सब्जी और चने की दाल को विशेष रूप से बनाया जाता है, क्योंकि इन्हें शुभ और पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रती अपने मन को शांत और एकाग्र रखते हैं, ताकि अगले तीन दिनों के कठिन व्रत के लिए तैयार हो सकें।
निष्कर्ष
नहाय खाय के साथ शुरू होने वाली छठ पूजा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह आत्म-अनुशासन, पवित्रता और प्रकृति के प्रति प्रेम का भी संदेश देती है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जीवन में संयम और समर्पण के साथ हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। नहाय खाय का यह पहला दिन छठ पूजा के चार दिवसीय अनुष्ठान की नींव रखता है, जो आगे चलकर खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य के साथ पूर्ण होता है। इस पर्व के माध्यम से हम न केवल अपनी आध्यात्मिकता को मजबूत करते हैं, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जागरूकता को भी बढ़ावा देते हैं।
(Written By: Akhilesh Kumar)


