शरद पूर्णिमा, वर्ष की सबसे चमकदार रात्रि, जब चंद्रमा अपनी पूर्णिमा में अमृत तुल्य किरणें बरसाता है। हिंदू पंचांग में आश्विन मास की पूर्णिमा को जाना जाता है, जब आकाशीय चंद्रमा धरती पर शीतलता और शांति का संदेश लेकर आता है। प्राचीन ग्रंथों में इसे 'कोजागरी पूर्णिमा' कहा गया है, क्योंकि देवी लक्ष्मी इस रात्रि को जागृत होकर धन-समृद्धि का वरदान देती हैं। लेकिन इस त्योहार का असली रहस्य छिपा है चंद्रकिरणों में, जो स्वास्थ्य और सुख का अमृत बनकर जीवन को पोषित करते हैं। आइए, इस जादुई रात्रि के रहस्यों को खोलें।
चंद्रकिरणों का चमत्कार स्वास्थ्य के लिए अमृत के समान है। आयुर्वेद के अनुसार, शरद पूर्णिमा की चांदनी में चंद्रमा की किरणें 'चंद्रकांत' नामक तत्व से भरपूर होती हैं, जो शरीर को ठंडक प्रदान करती हैं। गर्मियों के बाद आने वाली यह रात्रि पित्त दोष को संतुलित करती है। प्राचीन चिकित्सकों का मानना था कि इस रात्रि चंद्रमा का प्रकाश 15 गुना अधिक शीतल होता है, जो त्वचा को पोषण देता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। वैज्ञानिक दृष्टि से, चंद्रकिरणें मेलाटोनिन हार्मोन को सक्रिय करती हैं, जो नींद को गहरा बनाता है और तनाव कम करता है।
परंपरा के अनुसार, इस रात्रि दूध में चावल की खीर बनाकर चंद्रमा को अर्पित की जाती है। खीर को रात्रि भर चांदनी में रखा जाता है, ताकि किरणें इसमें समा जाएं। सुबह इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और आंखों की रोशनी बढ़ती है। आधुनिक अध्ययनों में पाया गया है कि चंद्रकिरणें विटामिन डी का प्राकृतिक स्रोत हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाती हैं। यदि आप अनिद्रा या चिंता से ग्रस्त हैं, तो शरद पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा के नीचे टहलें – यह प्राकृतिक चिकित्सा का सर्वोत्तम उपाय है। इस प्रकार, चंद्रकिरणें न केवल शारीरिक स्वास्थ्य का खजाना हैं, बल्कि मानसिक संतुलन का भी आधार।
सुख के रहस्य में शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। इस रात्रि जागरण करने से मन की अशांति दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पुराणों में वर्णित है कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की कृपा से यह रात्रि समृद्धि के द्वार खोलती है। घर में दीप जलाकर, मंत्रों का जाप करके मनुष्य नकारात्मकता से मुक्त हो जाता है। सुख का असली रहस्य यही है – आंतरिक शांति। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जब तनाव और अवसाद आम हैं, शरद पूर्णिमा हमें याद दिलाती है कि प्रकृति का प्रकाश ही सच्चा सुख है। परिवार के साथ खीर ग्रहण करना, गीत गाना और चंद्रमा को निहारना – ये छोटे-छोटे कर्म जीवन को आनंदमय बनाते हैं।
2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस रात्रि को अपनाकर हम स्वास्थ्य और सुख का संतुलन स्थापित कर सकते हैं। चंद्रकिरणों का अमृत न केवल शरीर को पोषित करता है, बल्कि आत्मा को भी आलोकित। आइए, इस त्योहार को जीवंत बनाएं, ताकि वर्ष भर सुख-स्वास्थ्य की बहार बनी रहे। शरद पूर्णिमा की चांदनी हमें सिखाती है – जीवन का रहस्य सरलता में है, प्रकाश में है।
(Written by: Akhilesh kumar)