हरी धरती, हमारी जिम्मेदारी: पर्यावरण संरक्षण की राह हमारी पृथ्वी, जिसे हम हरी धरती कहते हैं, जीवन का आधार है।

हरी धरती, हमारी जिम्मेदारी: पर्यावरण संरक्षण की राह

 हमारी पृथ्वी, जिसे हम हरी धरती कहते हैं, जीवन का आधार है। हरे-भरे जंगल, बहते नदियां, चहकते पक्षी और साफ हवा – ये सब हमें प्रकृति की अनमोल देन हैं। लेकिन आजकल, मानवीय लापरवाही के कारण यह हरी धरती धूसर हो रही है। जलवायु परिवर्तन, वनों की कटाई, प्रदूषण और प्लास्टिक कचरा जैसी समस्याएं हमारे अस्तित्व को खतरे में डाल रही हैं। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, यदि हम अभी नहीं चेते, तो 2050 तक वैश्विक तापमान में दो डिग्री की वृद्धि हो सकती है, जो प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा देगी। इसलिए, पर्यावरण संरक्षण न केवल एक नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि हमारी生存 की अनिवार्यता भी। यह लेख पर्यावरण संरक्षण की राह पर हमारी भूमिका को रेखांकित करता है।

 पर्यावरण संकट के मूल कारण मानव गतिविधियां हैं। औद्योगिक क्रांति के बाद से कार्बन उत्सर्जन में भारी वृद्धि हुई है। भारत जैसे विकासशील देशों में, तेजी से शहरीकरण और वाहनों की संख्या ने हवा को जहरीला बना दिया। दिल्ली की सर्दियों में स्मॉग का कहर इसका जीवंत उदाहरण है। वनों की अंधाधुंध कटाई से जैव विविधता नष्ट हो रही है। विश्व वन्यजीव कोष (WWF) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 50 वर्षों में 68 प्रतिशत जंगली प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। नदियां, जो जीवन रेखा हैं, अब औद्योगिक कचरे से दूषित हो गई हैं। गंगा जैसी पवित्र नदी में प्लास्टिक और रसायनों का जहर घुला हुआ है। इन प्रभावों से सूखा, बाढ़, समुद्र स्तर में वृद्धि और स्वास्थ्य समस्याएं जन्म ले रही हैं। लाखों लोग कैंसर, श्वसन रोगों से पीड़ित हैं। यदि हम चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियां हमें क्षमा न करेंगी।

 पर्यावरण संरक्षण की राह व्यक्तिगत, सामुदायिक और वैश्विक स्तर पर शुरू होती है। सबसे पहले, व्यक्तिगत स्तर पर हमें छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे। प्लास्टिक बैग का उपयोग बंद कर कपड़े के थैले अपनाएं। पानी और बिजली की बर्बादी रोकें – एक मिनट कम नहाना या अनावश्यक लाइटें बंद करना पर्यावरण को सांस देगा। पेड़ लगाना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है। एक व्यक्ति यदि साल में पांच पेड़ लगाए, तो करोड़ों पेड़ों का जंगल खड़ा हो सकता है। वाहनों के बजाय साइकिल या पैदल चलना कार्बन फुटप्रिंट कम करेगा।

 सामुदायिक स्तर पर, गैर-सरकारी संगठन (NGO) और स्थानीय समितियां महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। चिपको आंदोलन जैसी ऐतिहासिक घटनाएं हमें प्रेरित करती हैं, जहां महिलाओं ने वनों की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। आजकल, स्वच्छ भारत अभियान और जल संरक्षण योजनाएं लाखों लोगों को जोड़ रही हैं। स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए, ताकि बच्चे बचपन से ही जागरूक हों। सरकारी स्तर पर, नीतियां जैसे राष्ट्रीय सौर मिशन और वन संरक्षण अधिनियम सकारात्मक कदम हैं। लेकिन इन्हें सख्ती से लागू करना होगा। अंतरराष्ट्रीय समझौते जैसे पेरिस समझौता हमें वैश्विक सहयोग की याद दिलाते हैं।

 पर्यावरण संरक्षण एक चुनौती है, लेकिन असंभव नहीं। तकनीकी नवाचार जैसे सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और रिसाइक्लिंग प्लांट हमें नई उम्मीद देते हैं। यदि हम सभी मिलकर प्रयास करें, तो हरी धरती फिर से हरीतिमान हो सकती है। आइए, आज से संकल्प लें – हर रविवार को सफाई अभियान चलाएं, पेड़ लगाएं और दूसरों को प्रेरित करें। याद रखें, पृथ्वी हमारी मां है; यदि हमने इसे बचाया, तो यह हमें हमेशा आशीर्वाद देगी। हरी धरती, हमारी जिम्मेदारी – यह नारा केवल शब्द न रहें, बल्कि जीवन का मंत्र बने। आओ, मिलकर पर्यावरण संरक्षण की राह पर चलें और एक स्वस्थ, हरा-भरा कल गढ़ें।( Written by:Akhilesh kumar)


 

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