शारदीय नवरात्रि की उमंग
सूरज की पहली किरणों के साथ ही गांव में नवरात्रि की तैयारियाँ शुरू हो गई थीं। हर घर के आंगन में रंग-बिरंगी रंगोलियाँ बिखरी पड़ी थीं, और फूलों की मालाओं से सजे द्वार, त्योहार की आभा को और बढ़ा रहे थे। इस बार का शारदीय नवरात्रि पूरे गांव के लिए खास था। मां दुर्गा की पूजा के लिए मंदिर में विशेष आयोजन किया गया था, जहाँ गांव के हर परिवार का योगदान था।
सुबह होते ही गांव की महिलाएं सिर पर कलश लिए हुए मंदिर की ओर बढ़ रही थीं। साड़ी के पल्लू को सिर पर संभाले, चेहरे पर भक्ति और खुशी की चमक, गांव का हर एक कोना इस उत्सव में रंगा नजर आ रहा था। मंदिर के प्रांगण में पंडित जी मंत्रोच्चार करते हुए पूजा की तैयारी में लगे थे। गांव के बुजुर्ग, युवक और बच्चे सबने मिलकर मंदिर को आशीर्वाद की तरह सजाया था। फूलों की मालाएँ, दीपों की पंक्तियाँ और रंगीन झंडियाँ मंदिर को अनूठी चमक दे रही थीं।
दोपहर होते-होते गाँव के लोग माता के दर्शन के लिए मंदिर में जमा होने लगे। मां दुर्गा की प्रतिमा को भव्य रूप से सजाया गया था। चारों ओर लाल, पीले और सफेद रंग के पुष्पों की महक फैल रही थी। बच्चे मंदिर के आंगन में खेल रहे थे, और महिलाएँ मां की आरती के लिए थाल सजाने में व्यस्त थीं। पुरुषों ने मंदिर के बाहर पंडाल सजाया था, जहां भजन-कीर्तन होने वाला था।
आरती का समय होते ही पूरे गांव में एक अद्भुत शांति और श्रद्धा का माहौल छा गया। गांव के सभी लोग दीप जलाकर मां दुर्गा की आरती करने लगे। जैसे ही घंटियों की आवाज मंदिर के चारों ओर गूंजने लगी, ऐसा प्रतीत हुआ मानो साक्षात् मां दुर्गा गांव पर अपनी कृपा बरसा रही हों। हवा में घी के दिए की महक, फूलों की खुशबू और लोगों की आस्था घुलमिल गई थी।
शाम को पूरे गांव में भव्य जगराता रखा गया था। भजन-कीर्तन के साथ माता की महिमा का गुणगान किया गया। रातभर श्रद्धालु भक्ति के रंग में डूबे रहे, और ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे पूरा गांव एकजुट होकर मां दुर्गा के चरणों में समर्पित हो गया हो।
इस नवरात्रि ने गांववासियों के बीच प्रेम, सद्भाव और आस्था की एक नई कड़ी को जोड़ दिया था। शारदीय नवरात्रि के इस पावन अवसर पर पूरा गांव मां दुर्गा के आशीर्वाद से आलोकित हो उठा, और हर ह्रदय में भक्ति की ज्योति जल उठी थी। By: Akhilesh Kumar