सोच बदलो, दुनिया खूबसूरत दिखेगी World


 सोच बदलो, दुनिया खूबसूरत दिखेगी


रवि एक साधारण इंसान था, जो रोजमर्रा की जिंदगी के तनावों और चुनौतियों से जूझता रहता था। उसके जीवन में कई कठिनाइयाँ थीं—कभी आर्थिक समस्याएँ, तो कभी रिश्तों में खटास। उसे हमेशा ऐसा लगता कि उसकी दुनिया में कुछ भी सही नहीं हो रहा। चारों ओर अंधकार और निराशा ही दिखती थी।


एक दिन रवि अपने पुराने दोस्त मोहित से मिला। मोहित को देखकर रवि को हैरानी हुई, क्योंकि मोहित भी कभी उसकी तरह ही परेशान और चिंतित रहता था। लेकिन आज वह बिल्कुल बदला हुआ नजर आ रहा था—मुस्कान से भरा हुआ, खुश और आत्मविश्वासी। रवि ने उससे पूछा, "मोहित, तुम इतनी शांति और खुशी से कैसे जी रहे हो? मुझे तो हमेशा लगता है कि मेरी दुनिया बिखर रही है।"


मोहित मुस्कुराया और बोला, "रवि, यह सब सोच का खेल है। जब मैं अपनी समस्याओं से हार मानकर हर वक्त केवल उन्हें ही देखता था, तो मुझे भी सब कुछ गलत ही दिखता था। लेकिन एक दिन किसी ने मुझसे कहा, 'अगर तुम्हारी सोच नकारात्मक है, तो तुम्हें दुनिया भी वैसी ही लगेगी। पर अगर तुम अपनी सोच को सकारात्मक बना लोगे, तो हर चीज़ सुंदर और सरल नजर आएगी।' बस, मैंने अपनी सोच बदलने का निश्चय कर लिया।"


रवि को मोहित की बात सुनकर हैरानी हुई, "क्या सिर्फ सोच बदलने से सारी समस्याएँ हल हो जाती हैं?"


मोहित ने जवाब दिया, "समस्याएँ तो हमेशा रहेंगी, लेकिन उन्हें देखने का नजरिया बदल सकता है। सोचो, अगर तुम किसी फूल के पौधे को देखो और सिर्फ उसके कांटे ही देखो, तो तुम्हें वो पौधा बुरा लगेगा। लेकिन अगर तुम उसके फूलों की खूबसूरती पर ध्यान दो, तो वही पौधा सुंदर दिखेगा। जिंदगी भी ऐसी ही है। अगर तुम सिर्फ मुश्किलें देखोगे, तो दुनिया कठिन लगेगी। पर अगर तुम अवसर और खूबसूरती देखोगे, तो दुनिया भी खूबसूरत लगने लगेगी।"


रवि ने मोहित की बातों को दिल से समझा और अपनी सोच को बदलने का फैसला किया। धीरे-धीरे उसने अपनी जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को महसूस करना शुरू किया। वह सूरज की पहली किरण को देखता, पक्षियों की चहचहाहट सुनता, और अपने परिवार के साथ बिताए पलों को संजोता। उसे महसूस हुआ कि जब उसने अपनी सोच बदली, तो उसकी दुनिया भी सचमुच खूबसूरत लगने लगी।


समस्याएँ अब भी थीं, पर रवि ने सीखा कि उन्हें हल करने का तरीका उसकी सोच में ही छिपा था। अब वह हर दिन को एक नए नजरिये से देखता, और उसे जीवन की छोटी-छोटी चीज़ें भी बड़ी अनमोल लगतीं।


अंततः, रवि को यह समझ आ गया कि दुनिया को खूबसूरत देखने के लिए उसे बाहर कुछ बदलने की जरूरत नहीं थी, बल्कि उसे सिर्फ अपनी सोच को बदलना था। By: Akhilesh kumar 

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