भारत, अपने विशाल समुद्र तट और रणनीतिक भौगोलिक स्थिति के कारण, प्राचीन काल से ही समुद्री व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। 7,500 किलोमीटर से अधिक की तटरेखा और हिंद महासागर में अपनी स्थिति के साथ, भारत के समुद्री मार्ग न केवल आर्थिक समृद्धि की कुंजी हैं, बल्कि वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक प्रभाव के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। ये मार्ग भारत को एशिया, अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व से जोड़ते हैं, जिससे देश वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक अभिन्न अंग बन गया है।
प्राचीन काल में, भारत के समुद्री मार्ग मसालों, रेशम, और अन्य कीमती वस्तुओं के व्यापार के लिए प्रसिद्ध थे। सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर मौर्य और चोल साम्राज्य तक, भारतीय व्यापारी समुद्री मार्गों के माध्यम से रोम, मिस्र और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार करते थे। आज, भारत के प्रमुख बंदरगाह जैसे मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, और कांडला वैश्विक व्यापार के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं। इसके अलावा, सागरमाला परियोजना जैसे महत्वाकांक्षी प्रयासों ने भारत के समुद्री बुनियादी ढांचे को और मजबूत किया है, जिसका उद्देश्य बंदरगाहों को आधुनिक बनाना और तटीय क्षेत्रों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
भारत के समुद्री मार्ग आर्थिक समृद्धि के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं। पहला, ये मार्ग भारत के निर्यात-आयात व्यापार का आधार हैं। भारत का लगभग 90% व्यापार समुद्री मार्गों के माध्यम से होता है, जिसमें पेट्रोलियम, कोयला, और अन्य कच्चे माल शामिल हैं। दूसरा, ये मार्ग भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं। उदाहरण के लिए, हिंद महासागर में भारत की स्थिति इसे मालदीव, श्रीलंका और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार और रणनीतिक साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बनाती है।
इसके अलावा, भारत के समुद्री मार्ग रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। हिंद महासागर में मालाबार तट और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह जैसे क्षेत्र न केवल व्यापार के लिए, बल्कि सैन्य और भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। भारत ने हाल के वर्षों में अपनी नौसेना की क्षमता को बढ़ाया है, ताकि इन मार्गों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही, भारत ने 'सागर' (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) जैसे पहल शुरू किए हैं, जो क्षेत्रीय सहयोग और समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं।
हालांकि, भारत के समुद्री मार्गों के सामने चुनौतियाँ भी हैं। समुद्री डकैती, पर्यावरणीय प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे इन मार्गों की स्थिरता को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा, विशेष रूप से चीन की 'स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स' रणनीति, भारत के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करती है। इन समस्याओं का सामना करने के लिए भारत को अपने बंदरगाहों का आधुनिकीकरण, नौसेना की क्षमता में वृद्धि, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना होगा।
निष्कर्षतः, भारत के समुद्री मार्ग न केवल आर्थिक समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि देश की वैश्विक स्थिति को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही नीतियों और निवेश के साथ, भारत इन मार्गों का उपयोग करके वैश्विक व्यापार और रणनीतिक प्रभाव में एक नई ऊंचाई हासिल कर सकता है।( Written by: Akhilesh kumar)