भारत और पाकिस्तान, दो पड़ोसी देश जिनके संबंध ऐतिहासिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक जटिलताओं से भरे रहे हैं, आज भी शांति और सहयोग की नई संभावनाओं की तलाश में हैं। 1947 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के बाद से दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद, सीमा तनाव और आतंकवाद जैसे मुद्दों ने संबंधों को तनावपूर्ण बनाए रखा है। फिर भी, सांस्कृतिक समानताएं, साझा इतिहास और आर्थिक हित बेहतर भविष्य की नींव रख सकते हैं। क्या दोनों देश आपसी विश्वास और कूटनीति के माध्यम से शांति की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं?
भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में सुधार के लिए सबसे पहले विश्वास का निर्माण आवश्यक है। अतीत में शिमला समझौता (1972), लाहौर शिखर सम्मेलन (1999) और 2021 में नियंत्रण रेखा पर युद्धविराम जैसे प्रयासों ने शांति की संभावनाओं को दर्शाया है। हालाँकि, अप्रैल 2025 में पहलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले जैसे घटनाक्रम विश्वास को कमजोर करते हैं। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा को जिम्मेदार ठहराया, जिसके बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित करने और अटारी-वाघा सीमा बंद करने जैसे कड़े कदम उठाए। ऐसे में, आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई के बिना संबंधों में सुधार मुश्किल है।
दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और जन-जन के रिश्तों को मजबूत करना एक सकारात्मक कदम हो सकता है। करतारपुर कॉरिडोर, जो भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब तक वीजा-मुक्त पहुंच प्रदान करता है, एक उल्लेखनीय उदाहरण है। 2019 में शुरू हुआ यह कॉरिडोर दोनों देशों के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक सहयोग का प्रतीक है। इसी तरह, "अमन की आशा" जैसे मीडिया अभियानों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और शांति की वकालत की है। साझा भाषाएं जैसे पंजाबी, सिंधी और हिंदी-उर्दू, साथ ही क्रिकेट और बॉलीवुड जैसे सांस्कृतिक बिंदु, दोनों देशों के लोगों को करीब ला सकते हैं।
आर्थिक सहयोग भी संबंधों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। भारत और पाकिस्तान दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के सदस्य हैं, और व्यापार व निवेश के अवसर दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में व्यापारिक संबंध सीमित रहे हैं, और भारत ने 2019 में पाकिस्तान को "मोस्ट फेवर्ड नेशन" का दर्जा वापस ले लिया था। फिर भी, यदि दोनों देश व्यापारिक बाधाओं को कम करें और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा दें, तो यह आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ आपसी निर्भरता को बढ़ाएगा।
अंत में, भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंधों का मार्ग कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। इसके लिए आतंकवाद के खिलाफ ठोस कार्रवाई, कूटनीतिक संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग की आवश्यकता है। दोनों देशों के नेताओं को राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी और छोटे-छोटे विश्वास-निर्माण कदमों से शुरुआत करनी होगी। यदि भारत और पाकिस्तान शांति और सहयोग की दिशा में मिलकर काम करें, तो यह न केवल दोनों देशों, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए एक नई शुरुआत होगी।( By: Akhilesh kumar)