सुबह के सवेरे Subah यह कहानी सुबह के सवेरे का एक दृश्य प्रस्तुत करती है:


 यह कहानी सुबह के सवेरे का एक दृश्य प्रस्तुत करती है:


गाँव के पास एक सुबह का दृश्य बड़ा ही शांतिपूर्ण था। सूरज की हल्की किरणें आसमान में धीरे-धीरे फैल रही थीं, मानो धरती को अपनी बाहों में समेटने को तैयार हों। गाँव के चारों ओर हरियाली फैली हुई थी। खेतों में काम करने वाले किसान अपने हल और बैलों के साथ खेतों की ओर बढ़ रहे थे। पंछियों का चहचहाना वातावरण को और भी मधुर बना रहा था। दूर नदी के किनारे हल्की धुंध का दृश्य मनमोहक था।


गाँव के कच्चे मकानों से धुआं उठ रहा था, जहाँ महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर सुबह का नाश्ता तैयार कर रही थीं। बच्चे खेलते-कूदते अपने स्कूल की तैयारी कर रहे थे। हल्की-हल्की हवा पेड़ों को झुका रही थी, मानो वो भी सुबह की इस ताजगी का आनंद ले रहे हों।


यह सवेरा न केवल दिन की शुरुआत का प्रतीक था, बल्कि जीवन की नई उम्मीदों का संदेश भी दे रहा था। By: Akhilesh kumar 

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